QUOTES ON #BENAAM

#benaam quotes

Trending | Latest
12 OCT 2020 AT 22:04

_नाम_

दुनिया की सुने... वो 'बेनाम' होते है
जो दिल की सुने... 'बदनाम' होते है

इबादत-ए-इश्क़ ना कर ए गालिब
के सच्चे आशिक़ 'गुमनाम' होते है....

-


14 MAR 2019 AT 16:54

दिल के कमरे में अब...
एक खाली सा कोना चाहता हूंँ...

दिल की बंजर जमीन पर...
नया प्रेम उगाना चाहता हूंँ...

उनकी यादों का बोझ...
ढोते ढोते थक गया हूंँ...

वो बेनाम सा रिश्ता छोड़कर...
एक रिश्ता बनाना चाहता हूंँ...
नया रिश्ता बनाना चाहता हूंँ...

-


6 OCT 2020 AT 13:05

आया हूँ किस काम, बता दूँ
अपनी शायरी का दाम, बता दूँ
किसने दी है ख़ून भरी ग़ज़लें
पूछो तो क्या नाम, बता दूँ

किस ने भेजे पैग़ाम, बता दूँ
सच दुनिया में सरेआम, बता दूँ
आज चुन ली एक राह मैंने
कहाँ ख़त्म होगा मुक़ाम, बता दूँ

सुनो तो बात तमाम, बता दूँ
ख़ुद को शायर ग़ुलाम, बता दूँ
लोग जानते ही होंगे नाम मेरा
या फिर से नाम बेनाम, बता दूँ

-


7 JAN 2021 AT 18:47

मैं बदनाम हुआ कुछ इस कदर बेनाम से
के अब नाम नहीं होता किसी और नाम से

-


27 MAY 2020 AT 21:14

बे शब्द में सिमटी सी ज़िंदगी।

इस दुनिया में क्या आए लगा बेहोशी से होश में आए
बोलना चाहा लेकिन बेज़ुबान से हुए इस ज़िंदगी में आए।
बचपन गुजरा बेअक्ली में कुछ ऐसा
ऐसा लगा इस दुनिया की परेशानियों से कुछ बेख़बर से आए।
बेहद शोंख से पाला माँ बाप ने जिस दुलारे को
लेकिन बेरोज़गारी ने ग़म के आँसू रुलाए उस दुलारे को।
घर से बेघर हुआ जब अपनी ज़िंदगी बसाने को
बेतुका सा लगा हर शख़्स किसी अनदेखी शह को पाने को।
कब जवानी को बुढ़ापे ने चलता कर दिया
कब रौनक़ से बेरौनक़ हुई ये ज़िंदगी इस बात ना इल्म ना हुआ।
क्या खोया क्या पाया इस ज़िंदगी में
इस बात पे कुछ बेनतीजा सी रही ये ज़िंदगी।

-


13 OCT 2020 AT 13:06

ख़ुशियों का सूरज, ढल गया है
सब कुछ हाथ से, निकल गया है

जिनके भरोसे से था, उड़ता बेनाम
आज वहम ये दिल से, निकल गया है

कुछ ख़ास चोट ना, आई दिल को
बस एक बूँद आईने से, फिसल गया है

महसूस हुआ है, सूखी ज़मीं सा मुझे
जैसे सारा समंदर, निकल गया है

मैनें तो खो दिया, मेरा जहाँ ये लेकिन
तुम्हीं बताओ तुम्हें, क्या मिल गया है

बंजर है उधर, लो आँखों से बरसा दूँ पानी
अब देखो! क्या गुलाब खिल गया है

-


12 JAN 2020 AT 18:56

मैं अकेला सबका कैसे हो जाऊँ
मगर सबको अपने ख़्वाब दूँगा
तुम्हारे सवालों के जवाब है मेरे ज़हन में
मगर पढ़ने को एक किताब दूँगा
जता दिया तो प्यार ही क्या तुम्हारे लिये
मगर एक दिन तुम्हारे वाह-वाह का हिसाब दूँगा
जिसे अच्छा लगता हूँ चोरी छूपे पढ़ जाता है मुझे
पन्नों में रहने वाला क्या किसी पर दबाव दूँगा
ग़मों का मयख़ाना खोलना है नशे की गलियों में
सुनने आना किसी दिन पर ये मत समझना शराब दूँगा
आ भी गया किसी दिन भरी महफ़िल में
क़सम से बेनाम तेरे चेहरे पर नक़ाब दूँगा

-


21 JAN 2020 AT 20:12

बूढ़ा हुआ तेरे प्यार में और कब पड़ी झुरियां
तेरे बाद मेरे महबूब चेहरे पर शबाब ना रहा
एक रात तेरे छल ने क़लम करवा दी मेरी पगड़ी
इस कुकर्म के बाद मैं सत्ता का नवाब ना रहा
तुझे तो लालसा रहती थी मैं घर से कब निकलूँ
इन्हीं गैरों को मेरा वापस लौटना बेताब ना रहा
निखरकर निकले वो भी पाँवों में पायल लेकर
पूछा गया बाजार जाने का कारण जवाब ना रहा
कल मैं पागल था जो हो बैठा तेरा दीवाना
आज हुई तेरे आशिकों की गिनती हिसाब ना रहा
बेनाम तुझे तो शर्म आती होगी उस आईने पर
जिसने हर चेहरा देखा जिन पर नक़ाब ना रहा

-


28 JAN 2021 AT 23:10

मैं सँवारता हूँ ख़ुद में यही नाम रोज़
पूछती है दुनिया कौन है बेनाम रोज़

-


10 MAR 2021 AT 20:38

आब-ए-आईना ये सब आफ़ताब का है कमाल
जश्न-ए-रात से पहले शाम भी कोई चीज़ है

एक सस्ता सा नशा अपनाया उसे देखने का
यार कहते हैं पियो कभी जाम भी कोई चीज़ है

यूँ फ़्री ना लुटाया करो अपनी शायरियाँ जहाँ में
कल दादा ने बताया बेटा दाम भी कोई चीज़ है

फ़िराक़ से घबरा लोग बदल लेते हैं पथ अपना
न डगमगा किसी मोड़ पर गाम भी कोई चीज़ है

मियाँ फूल तो देखो बाज़ार की बन गए रौनक़
कुछ कलियाँ बाग़ में रहे ख़ाम भी कोई चीज़ है

ग़ज़ल नज़्म में काली रात करना ये सब तो वाज़िब
ना बे-ख़ुदी में भूलना बेनाम नाम भी कोई चीज़ है

-