वो सख्श जिसने उम्रें गुज़ार दी,
मुख्तसर झोलिया भरने में,
जब मौत से रूबरू हुआ,
तो नंगे हाथ बनारस आ गया।।-
22 JUL 2020 AT 23:27
22 JUL 2020 AT 17:10
किताबें पढ़ी कुछ ज़िन्दगी की,
कुछ सफर का मज़ा भी लिया,
ऐसे भटके इन गलियों में,
साला,हम भी बनारस हो गए।।
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