यूं तो हर कदम तीरगी मिली
पकड़ा जो माँ का हाथ तो ज़िन्दगी मिली
सूरज चाँद चांदनी सब धरे के धरे रह गए
माँ ने आँखे खोली तो रोशनी मिली-
कागज़ की नाउ की तरह हो गई है ज़िन्दगी,
चलती जा रही है गलती जा रही है।-
सोच कर ये सफ़र तय हुआ
न दिल से कभी जुबाँ तक गए
सफ़र इतना ही रहा ज़िन्दगी का
मकाँ से निकले दुकाँ तक गए।
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कुछ यादो से लड़ कही दूर गया हूं,
हाँ सच मे मैं तुम्हे भूल गया हूं।-
गालो पर जो तुमने ज़ुल्फ़ें गिरा दी,
मुझ जैसे कई बिचारो की नींदे उड़ा दी।
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पल भर के लिए भी तन्हा होने नही देती,
मेरी दादी मुझे रोने नही देती,
पराये दर्द पर रो कर गुज़री हैं ज़िन्दगी उनकी,
और मुझे अपने ही दर्द पर रोने नही देती,
मेरे सर पर उनकी दुआओं के जो साये हैं,
सफर में ये कभी हादसा होने नही देती।-
तेल को तीली दिखाना है क्या
सच में तुझे जाना है क्या
किस बात से तेरा दिल हैरान है
तू मेरी मोहब्बत से परेशान है क्या
औरों की तरह तू भी मत आना लौट कर
मेरे इश्क़ को झेलना आसान है क्या
क्यों पलट जाता है मुझे देख कर
तू मुझसे अनजान है क्या-
ज़िन्दगी में मुझको कोई काम नही मिलता
घर पे रहते हुए आराम नही मिलता
घूमता ही रहता हुं मैं तो गली गली
फिर भी मुझको कोई मक़ाम नही मिलता
और कितना घूमता रहूंगा मैं अभी
मुझको तेरा कोई पैग़ाम नही मिलता-