मोहब्बत☄️ भी अब हम नए अंदाज में करते है
ना वो बात करते हैं, ना हम बात करते हैं !!-
मैं चलता रहा, मीलों दूर चलने के बाद
मैंने नदी को देखा, मेरा दिल उछाल मारने लगा
और नदी के समीप जा पहुंचा।
मैंने उस शुद्ध नदी के जल में छलांग लगा दी और तैरने लगा,
ऐसा लग रहा था मेरा बचपन लौट आया हो। मैं बहुत देर तक तैरता रहा।
तभी मेरे माथे पर पड़े एक तीखे पत्थर ने मुझे मेरे सपने से झंझोर दिया,
नीच जात, इस पवित्र जल को दूषित करने का साहस कैसे किया? "
मैंने ऊपर देखा," की उच्च जाति के कुछ लोग मुझे ही ताक रहे थे।
मैं अपने प्राण बचाकर भागा,
अब मुझे उस जल से भी दूर भागना पड़ा
जो देवों का हो गया था।...
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तुमने देवताओं की महानता देखी, "
मैंने असुरों कि पीड़ा देखी।....
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"अश्वत्थामा, मेरे मित्र, यहां से जाओ। भागो,
तुम्हारी टांगें जितनी दूर ले जा सके, दूर चले जाओ
मुझे अंत तक लड़ना होगा, अपनी रक्षा करो, लौट जाओ,"
"तो तुम्हें लगता है कि मुझे भाग जाना चाहिए,
क्या तुम्हें नहीं लगता उन्होंने तुम्हारे साथ, देश के साथ, कर्ण के साथ
जो भी किया उसे देखने के बाद मैं यह देश छोड़ सकूंगा?,"...
दुर्योधन अश्वत्थामा से कहना चाहते थे कि
वह बीती बातें भुला दें,
परंतु मन की कटुता जाती ही नहीं थी। "....
अश्वत्थामा ने दुर्योधन को गले लगाया
और कहा ,"जब तुम्हें पता चले कि मैंने क्या किया तो मुझसे घृणा मत करना।"
"तब तक मेरे प्राण नहीं रहेंगे।"....
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जब देवता और राक्षस लड़ रहे थे,
महादेव ने यह नहीं कहा कि देवता सही हैं
और राक्षस गलत हैं।
हालांकि वे खुद असुर के राजा थे
हम सभी के अपने पूर्वाग्रह हैं।
अगर महादेव ने न्याय नहीं किया,
तो हम दूसरों का न्याय करने वाले कौन होते हैं?....
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तुम ठीक हो?" उसने पूछा। "राक्षसों द्वारा नहीं खाया गया?"
"थोड़ा सा भी नहीं।" मैंने राक्षस को दिखाया कि
मेरे पास अभी भी दोनों हाथ और दोनों पैर हैं,
और हम दोनों मिलकर अच्छी जगह घूम सकते हैं
"वाह!" राक्षस ने कहा।
फिर मैंने कहा "हम मूंगफली का मक्खन सैंडविच खा सकते हैं
और मछली खा सकते हैं!
हम अन्य जाति वालों से लड़ सकते हैं
और चीजों को बूम कर सकते हैं!"
राक्षस ने कहा "फिर तो हम एक ही हुए
मैंने उससे कहा " बिलकुल।,"
और राक्षस ने मुझे जाने दिया।…, "
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मैं कुछ समय से इस विषय में विचार करता आ रहा हूं माँ,
पिछले कुछ दिनों से लाखों जाने गई,
उन पांडवों ने कृष्ण साथ इस रणभूमि में कायरता का ही प्रदर्शन किया है,
पितामह को कपट से घायल किया,
आचार्य द्रोण को छल से मारा,
मेरे मित्र कर्ण को कपट से मारा,
और मैं भी उनकी कायरता का ही शिकार रहा माँ, "
अब मुझे जाना होगा माँ,"
असुरों के प्रति विष्णु की घृणा ने सब कुछ नष्ट कर दिया,
हस्तिनापुर तहस-नहस पड़ा है,
मैं अब भी बुझे अंगारे देख सकता हूं,
दुकाने, घर, प्रसाद, पुरुष, स्त्रियों व शिशु सबकुछ जलकर राख हो गया है, माँ।...
अग्नि की लपटों से घिरे इस हस्तिनापुर को अपनी रक्षा स्वयं करने दो,
मैं जो भी था आज उससे तो बहुत दूर निकल आया हूं
मैं अब शांति से मरना चाहता हूं माँ
मैं यहां से चले जाना चाहता हूं।....
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जब पांच पतियों वाली ने
मेरा अपमान किया,
तो मेरे पास शांत रहने की बुद्धि नहीं थी:
मैं हताश हो गया;
मैं अधर्मी हो गया।.....
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शीर्षक :- असुर
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यदि मेरा पूरा ध्यान युद्ध नीति पर है
तो शांत और केंद्रित होना बहुत मुश्किल है।
सभी देवता मेरे 'कुल-द्रोही भाई'संग एकत्र होकर असुर जाति को नष्ट करने
और विजय पाने की आशा में मेरे नगर आ गए हैं।
मैं रावण एक लम्बी दुरी तय करके आया हूँ
अब मेरे पास ऐसा कुछ नही बचा जिसके लिए युद्ध किया जा सके,
केवल सड़कों, और मैदान पर मेरा पुतला टांग देंगे,
लोग इस दृश्य को देखने के लिए उमड़ पड़ते है,
उनके लिए यह बहुत बड़ा तमाशा है।
पहले मेरे भाई को जला देंगे 'जो सागर की गहराइयों में कहीं
अधखाई गई मछली द्वारा मृत पड़ा होगा,
उसके पश्चात मेरे पुत्र मेघनाथ को जलाएंगे
कल ही मैंने अपने 'पुत्र मेघनाथ' को मुख्य अग्नि दी थीं
या शायद एक दिवस पहले
अब तो समय का भी कोई आभास शेष नहीं रहा
मैं अनेक वस्तुओं के विषय में अपना ज्ञान खो बैठा हूं
ब्रह्मांड की गहराइयों में कहीं एक अकेला तारा हौले से टीम टीम आ रहा है।
काफी हद तक भगवान शिव के भांति सब कुछ स्पष्ट कर देना वाला।
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