Anu Chhangani 8 JUN 2017 AT 15:33 बादल की गरज भी अर्ज करनें को कहती है मुझे,तेरे दिए उन रसीले ज़ख्मो की बारिश को...पर तेरी वो मासूम ग़र्ज भला कोई और क्यूँ समझे !! -