ये शराब की लापरवाही थी जो
पैमाने को देख मचल गया,
लबों तक आने से पहले,
जाम आँखों से छलक गया।
उस रात महफ़िल में,
वो खूबसूरत आँखे देखती रही हमें,
ये तेरा इश्क़ ही था,
जो उस नशे में भी,मैं संभल गया।
आगे मर्जी थी उस खुदा की,
जो तेरे लिए मेरी शिद्दत देखकर डर गया।
फैसला जब वो भी न कर पाया,तो पूछा मुझसे,
इतनी मोहब्बत उनके लिए,तुमने कहाँ से लाया।
मैंने भी कह दिया उस खुदा से,
जितनी मोहब्बत तुमने इंसानों के लिए बनाया,
तोड़कर उन सरहदों को मैंने,
उनसे इश्क़ दूर तक कर आया।— % &
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