हर साल दशहरा हमें याद दिलाने आता है कि हर इंसान को अपने अंदर के रावण, यानी अहंकार को और उसके नौ सिरों—जो अहंकार से जुड़ी नौ बुराइयों का प्रतीक हैं—को कुचलना चाहिए, क्योंकि बाहर रावण का पुतला जलाने से अंदर का रावण नहीं मरेगा; परंपरा निभाने के लिए पुतला जलाएं, लेकिन धीरे-धीरे उन दस सिरों को भी मारते जाएं जो हमारे भीतर छिपे हैं—अहंकार, अविश्वास या बेईमानी, क्रोध, ईर्ष्या, प्रकोप या अतिरिक्त क्रोध, लोभ, संदेह, अन्याय और अधीरता। इन नकारात्मक गुणों को त्यागकर हमें भगवान श्री राम के सकारात्मक गुणों को अपनाना चाहिए, जैसे धैर्य, निष्ठा और सहनशीलता, ताकि हमारा जीवन धर्म, सत्य और शांति से भर जाए।
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2 OCT AT 18:39
13 OCT AT 10:49
Suna hai wo nazar se chhupa hai
Khalaa me fir ye kiska chehra hai?
Na jane yaha kisko ikhtiyar hai?
"Aks" ke to khayalo par bhi pehra hai-