"प्रेम"
उस बच्चे के समान है
जिसे मालूम है छिन्न जाने वाला है बचपन....
फिर भी आंदोलित हो जुनून से जीता है
और फिर सौंप देता है जवानी को बचपन.....
#akhilsain-
प्रेम जो जन्मा है
कृष्ण की बंशी के सुरो से.....
जिसे बचपन दिया
जमना के निश्चल जल ने.....
प्रेम जिसे जवानी दी
राधा संग कृष्ण के रास ने.....
और बुढापा संवारा
मीरा की भक्ति राग ने.....
मृत्यु आयी
राधा से कृष्ण के विरह से....
और नैसर्गिक रहा प्रेम जीवन के अन्तःस्थल में.....
#akhilsain
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उसने मुझे मांगा
और बदले में मैने मांगा
प्रेम
जो बरसो बरस तक रहे
जो हवा में घुले
तो इत्र की सुगंध दे
जो उतरे समंदर में
तो जहाजी बेड़े बन जाये
और पाट दे
समंदर के तह में छुपी गहराईयो को
और मांगे बस प्रेम
प्रेम जो नश्वर है..... #akhilsain
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कितना कठिन है
किसी के प्रेम में जंगल होना
चुपचाप नदियों का बहना
और रहस्य बने रहना
अनछुए हिस्सो का
जंहा आज भी तितलियां
बेख़ौफ़ पंख पखारती है
खोये रहने के लिए
प्रेम में..... #akhilsain-
कही नही तुम गुम हो अभी कही
लौट आना इस से पहले की सूरज ढ़ले कहीं
वो अंधेरी रात तुम्हे रोके रखेंगीं
सितारों संग बात तुम्हे रोके रखेंगीं
तुम छुड़ा उसका हाथ चली आना
संग अपने वो जुगनू लाना
जिसकी रोशनी में तुम मुस्कुराती हों
और बदहवास सी तुम मुझसे लिपट जाती हो...
#akhilsain
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घर के मामूली झगड़ो का असर बच्चो पर भी उतना ही होता है
जितना कि युद्धों में शामिल हुए सिपाहियों पर युद्धों का
....... #akhilsain-
साज नया है राग नया है
सपनो का बाज़ार नया है
बंधनो का ब्याह नया है
श्री का यह इंतज़ार नया है
पहले पहल वर-वधु का श्रृंगार नया है
कुछ रस्मे है कुछ कसमे है
कुछ रिवाज़ों का अंदाज़ नया है
मिलन है ये परिवारों का रिश्तो का विश्वास नया है
है जोड़ता विचारो को ये उन्मादों का सैलाब नया है
क्या कहूँ इस घड़ी का यह ब्याह नया है
है ब्याह वह जिसमे सपनो का अंबार लगा होता है
दो पृथक-पृथक परिवारों का मिलनसार लगा होता है
बजती है शहनाई कुछ नगमें भी होते है
लेकिन अपनो का अंदाज़ नया होता है
ये ब्याह नया होता है, ये ब्याह नया होता है
विवाह बंधन में बंधने का उत्साह नया होता है
विदाई में अश्रुओं के कणों का झार-झार नया होता है
श्री के कदमो का आगमन खुशियों का हार नया होता है
ये ब्याह नया होता है, ये ब्याह नया होता है......
#akhilsain-