ये बसंत है
बसंत मंद मंद समीर का
खिलते बासंती फूल की अबीर का
फाल्गुन के गीतों के शोर का
प्रेम के सराबोर का
पढ़ने लिखने वाली की भोर का
ये बसंत है रंग रास के विभोर का
ये बसंत है-
युद्ध हमेशा से... read more
तुझसे गुज़रकर ये जाना की हम होना कैसा है
फलदार वृक्ष न होने से पौधा होना अच्छा है
मैं दोपहर का साथी हूँ सुनसान रात में होने से
संग तेरे न होने से ग़म का साया अच्छा है....
अखिल सैन
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अब उलझती जाती है ये ज़िंदगी भी
सुलझायें कोई तो गाँठे पड़ जाती हैं
मेरे हिस्से के भी सारे सुख तुम्हारे हो
मगर दुःखों की ठंड में आँसुओं की धुँध पड जाती है
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ये दरवाज़ों की आवाज़ है या हवाओं का ज़ोर
ये खिड़की अंतस को खोल दे फिर देख इश्क़ का दौर... #akhilsain-
शिक्षक वही है जो आप की कमज़ोरियों को पहचान ले
और एक मित्र भाती आप का मार्गदर्शन करे...यही एक अच्छे शिक्षक की पहचान है... #akhilsain-
अगर तुम ठहर जाने को प्रेम कहते हो
तो सरासर ग़लत हों
जो ठहर जाता है वो प्रेम कभी नहीं हो सकता
प्रेम में डूबा हर इंसान तैरता है पानी के ऊपर
एक किनारे से दूसरे किनारे की ओर
प्रेम में आदमी खोजता है खोजी कि तरह
एक जगह ठहरता नहीं... #akhilsain-
कारनामे बड़े ही कमाल लिखती है ज़िन्दगी मेरे
पहलू में कितने सवाल लिखती है ज़िन्दगी मेरे.... #akhilsain-