निश्चित है की इस रण में, मैं हार जाऊ
हार कर ज़िन्दगी के चक्रव्यूह में फंस जाऊ
अनगिनत शब्द सर मुझ पर चलेंगे
हार के कई लांछन मुझ पर लगेगें
एक ही है जग में द्वार सदा जिसके खुले रहेंगे
इस विकट परिस्थिति में भी मुझ को थामे रहेंगे
फिर घेरना चाहे भी तो जग मुझको घेर ना सकेगा
बिछा के मार्ग में काटे भी मोद वो ले ना सकेगा
विपत्तियों का अम्बार क्यों ना घात लगाये रहेगा
हर परिस्थिति से जो मुझको बचाये रहेगा
सत्य है ईश्वर के रूप में गुरु मुझको संवारेंगे
गुरु ही मुझको जीने की राह बतलायेंगे
गुरु ही जीवन के रण में सारथी बन गीता ज्ञान सुनाएंगे
गुरु ही ईश्वर गुरु ही परम ब्रह्म,
गुरु ही चेतना का दीपक, और ज्ञान का उजियारा चहुँ और फैलाएंगे
गुरु बिन शिष्य इस सृष्टि में कहाँ रह पाएंगे.... #akhilsain
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