इस दिल की अधूरी ख़्वाहिश है तू
जो पूरी न हो सके वो फ़रमाइश है तू
लाज़मी है तेरा खुद पर गुरुर होना
आख़िर मेरी चाहत की साज़िश है तू
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तेरी बातें अब मुझे चुभ सी रही है
तेरी मुस्कुराहट अब मुझे तीखी सी लग रही है
नहीं पसंद है ना मेरे साथ तुझे
ठीक है तेरी मनोकामना पूरी कर दूंगी
तुझसे दूर होकर खुद की ख्वाहिश को अधूरी कर लूंगी।-
aadhi zindagi tuti ummidein
thi buss tujhko paanae mein
Ab toh hai har Saans ki
yahi sifarish
tuhi tha tuhi rahega
meri mohhobbat
meri aakhri khwahish-
अधूरी है
जिन्हे पूरी करना है ,
बंध पिंजरे से निकल के
ख्वाहिशों के आसमान मे उड़ जाना है ।
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Kisi ne piche se mujhe hai pukara
Ab mud ke na dekhungi dubara-
Zaruri nahi har khwahish puri ho,
Kuch adhuri khwahish bhi puri lagti hai.-
Aj tune meri mohabbat ko u kuch lafjo me tol diya
Jo kaha usme muze bezaar ka mol diya
bhut pyar h tumse ye bhi keh diya
or adhuri khwahish bhi bol diya
tum hi keh do ab mene kya na diya-
"अधूरी ख्वाहिश"
छोटी सी थी एक बच्ची,
प्यारा सा था उसका एक सपना।
जिन्दगी के सफर को था उसको जीना।।
यारों की यारियों में था डूबना,
खुले आसमां की वादियों में था उड़ना।
कर न सकती थी अपना वह सपना ये पूरा;
सोचा था उसने एक दिन,
करूंगी मेरा यह सपना पूरा।
वक्त ने किया कुछ ऐसा,
चली गई वह अपना शरीर छोड़कर.....
रह गई उसकी यह अधूरी ख्वाहिश,
रह गया उसका सपना अधूरा;
यारों की यरियों में डूबने की अधूरी ख्वाहिश;
जिन्दगी के सफ़र को जीने की अधूरी ख्वाहिश।
रह गया सपना पूरा करने की अधूरी ख्वाहिश।।
कल कभी आता नहीं,
करने को पूरी एक अधूरी ख्वाहिश।
बीते हुए कल से कुछ मिलता नही,
करने को पूरी एक अधूरी खाव्हिश।
खुले आसमां की वादियां ना मिली ना सही;
अपने दिल की वादियों में उड़ो।
नही तो रह जाएगी बनकर यह,
सिर्फ एक अधूरी ख्वाहिश।।
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मन तो बहुत होता है उससे बात करने को,
मगर कुछ मज्बूरिया रोक लेती है आगे बढ़ने से!-