आज ये खयाल आया यूं ही कि
तुम ना होते तो मैं क्या होती?
शायद इक ऐसी अकेली "ख़ुशबू"
जिसकी संगी कोई हवा न होती,
जिसकी सहेली कोई फ़िज़ा न होती...
मेरा होना भी ना होने जैसा था मेरे लिए
पाकर सब कुछ खोने जैसा था मेरे लिए...
मुझे महकना भी है और महकाना भी
ये एहसास कराया तुम्हारी मोहब्बत ने...
गुल खिलाना है इस जहां में सबसे प्यारा
ये याद दिलाया मुझे तुम्हारी सोहबत ने...
सीने में जो दफ़न थी कब्र अरमानों की
ये कभी खूबसूरत फूलों की सेज नहीं बनती
सोचती हूं कि तुम ना होते तो मैं क्या होती...
तुम ना होते तो मैं क्या होती...
—Khushboo Rawat
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10 MAY AT 23:42