सुनिएगा गा.... के, मोहब्बत ख़तम नहीं होती दफनाई जाती है, किस्से इतिहास नहीं होते मिटाए जाते है, कुछ रिश्ते ही बेवजह होते है, खुद तो पूरे होते नहीं, दूसरो की नींद उड़ाए जाते है।
श्लोक और आयतो से मिलकर बनी हो तुम, ईशनिंदा का पाप है शब्दों में बांधना तुम्हे, फिर क्या फर्क पड़ता है जो पिरो दु हदीस में तुम्हे या गढ़ दु तुमपर पुराण, इश्क़ में तेरे मौत तो लिखी ही है मुझ काफ़िर की