Shikha Verma   (शिखा✍)
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Joined 23 January 2019


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Joined 23 January 2019
3 SEP 2022 AT 14:22

कभी - कभी मन मे,
कुछ अन सुलझी सी बातें,
कौतूहल मचा रही होती है,
वाकई मे,
सच हमें नहीं पता होता है कि,
किन कारणों से ह्रदय,
इतना व्यथित हो रहा है,
उस वक़्त किसी के बोलने पर भी ,
उसका जवाब देने की,
तनिक इच्छा नहीं होती है,
बस ख्वाइश होती है ,
सिर्फ उसी शख्श की,
जो हमें गले लगाकर ,
जी भर रोने दे ,
और हमारे दुःख ,
उन आँसुओ के साथ,
धारा प्रवाहित हो।

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2 SEP 2022 AT 21:38

हम मन मे सुकून की आश लिए
कि कभी तो जीवन मे ,
भरपूर खुशहाली बरसेगी
आत्मा को भी संतुष्टि होगी
इसलिए बिना रुके कदम ,
बस बढ़ते चलें जा रहे,
हमें नहीं पता किस क्षण ,
उस सुख कि अनुभूति होगी,
जिसके लिए हमारी अंतरात्मा ,
बरसो से प्रतीक्षा कर रही,
इसलिए स्वयं को,
हर क्षण जीना ही उचित होता है ,
वही रसानुभूति का अनुभव करवाता है।


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30 AUG 2022 AT 21:17

कुछ नए पन्ने,
जिनमें काली स्याही से,
धुन्धले अनगिनत चित्र,
बहुत कुछ बयान कर रहे थे,
कुछ अतीत के पुराने किस्से ,
बयां कर रहे थे तो ,
कुछ साथ चल रहे रहस्य कि ओर,
इशारा कर रहे थे ,
कुछ दृश्यों को समझ लेना,
जरूरी होता है पर,
प्रेम मे पड़े लोगों का मन
ऐसी दुविधा मे ,
सदैव वास्तविकता को ,
नकारने का फैसला कर लेता है,
और झूठ के सफ़ेद परदे को ओढ़ लेता है।

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29 AUG 2022 AT 22:44

अपने अंदर का घमासान युद्ध,
जो जाने कबसे ,
विद्रोह किये जा रही थी,
कुछ उबलते ख्याल,
मन कि दीवारों पर,
उलाहनो की बौछार कर रहे,
देह की मौन स्थिरता,
अब सवाल कर रहे
कि क्यों जवाब की,
प्रतीक्षा मात्र ही हो रही है,
अब सच जानने का प्रयास करना ही ,
आत्म संतुष्टि प्रदान करेगा।

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28 AUG 2022 AT 21:45

अब कभी ना मिले,
अधिक प्रेम मे मिली तड़प,
मन को घोर विचलित और ,
अशांत कर देती है,
फिर और कुछ नहीं बचता ,
शिवाय उस अधूरे अपनापन,
और दर्द से भरे लफ्ज के।

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12 JUL 2022 AT 17:35

जिन्दगी को दोराहें पर ले आती है,
किसी को आबाद तो किसी को बर्बाद कर जाती है।

कुछ गलतफहमियां,
असमय ही तूफ़ान ले आती है,
किसी कि मिटती है तो किसी का घरबार ले जाती है।


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4 JUN 2022 AT 22:55

भी तुम ही आते हो,
अश्क़् और सिसकियां के बीच
भी तुम ही आते हो ।

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4 JUN 2022 AT 22:45

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15 JAN 2022 AT 20:57

मैंने खुदसे ही अब दोस्ती कर ली है,

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2 FEB 2021 AT 17:13

दर्द के ऐसे हद तक गुजरी हूँ मै,
मेरे सामने वो किसी और को सीने से लगाए बैठा था।

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