तुझसे हर रोज़ यहाँ, मुस्कुरा के मिलता हूँ..!
तेरे नफरत को मैं तुझसे, छुपा के मिलता हूँ..!!
ये अदाए ये शौखियाँ मेरे नादान ए गज़ल
गुल ए रुख़सार से जुल्फ़े हटा के मिलता हूँ-
14 JAN 2020 AT 15:22
तुझसे हर रोज़ यहाँ, मुस्कुरा के मिलता हूँ..!
तेरे नफरत को मैं तुझसे, छुपा के मिलता हूँ..!!
ये अदाए ये शौखियाँ मेरे नादान ए गज़ल
गुल ए रुख़सार से जुल्फ़े हटा के मिलता हूँ-