Itihaash,
kese banta hai..?
Mai likhu or tum padhon..-
यू मांगकर लाइक कमेंट सब्सक्राइब मिला नहीं करते साहब ,
दर्द-ऐ-इश्क की स्याही अल्फाज़ो में डालकर कमाए जाते हैं ।
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खुद से खूबसूरत कुछ और नहीं देखा मैंने,
जब से खुद को तेरी आंखों में देखा मैंने।
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खैरियत पूछी नहीं और हाल अपना बता दिया,
मामूली था मैं मुझे और मामूली बना दिया।
खाली दिनों की मोहब्बत को यु हल्का बना दिया
मुक़र्रर ऐ मुलाकात को बस ख्याल बना दिया।-
और भगवान इंसान का मोहताज हो गया,
पहले अवतार लेकर बसा करते थे अब केस लड़ कर।-
मशगुल हूं मैं खुद की ही तन्हाई में ,
तुझे खोने का डर मुझे सताता कहां है ।
मैंने बंद आंखों के ही ख्वाब देखे हैं ,
सिर्फ हकीकत का मुझे अंदाजा कहां है ।-
कुछ सुनो..शायद ये सफ़र का अंत नहीं,
यकीं मानो..पर बस वक्त मुलाकातों का नहीं।
माफ करना..मिलेंगे फिर से कस़म ये अल्फाजों की रही,
सब्र रखना..होगी पूरी मुलाकात,नज्म,गुफ्तगू जो अधूरी रही।
Thanks yq & dear friends for your precious
love..🙏🙏🙏🌹🌹
Byee😈😈😈
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