ये दुआ है मौला, तासीर ऐसी ज़ुबां को अता करना
अल्फ़ाज़ों में हो असर, दिलों को साज़ अता करना
मुनव्वर करे जहाँ को ऐसे आमाल अता करना
ज़ुबां से मेरी, तकलीफ़ ना पहुँचे किसी मखलूक को
ऐसी मोअज्ज़ज़ा गुलशन में शबोरोज़ वाज़ेह-साफ करना
गर हो मेरी एक ही दुआ जो क़ुबूल तुझे करना
सीरत-ए-रसूल मौला, उम्मतों में बस आम करना
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