Abrar Ahmad   (Abrar)
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A Philosopher by Heart, An Engineer by Profession
Joined 8 March 2018


A Philosopher by Heart, An Engineer by Profession
Joined 8 March 2018
15 JAN 2022 AT 11:39

हमने क़तरा न देखा, ना कभी दरिया पे गौर किया
जहां उनकी अक्श नज़र आई, बस वहीं पे डूब गए।

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26 MAY 2021 AT 11:47

बारिश की इन नन्ही बूंदो की मानिंद तेरी रुखसार पे जो पनाह मिल जाए,
रब्बे ज़लाल की कसम, पल भर के लिए ही सही सारी कायनात मिल जाए।

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26 MAY 2021 AT 11:23

एक एहसास ही काफी है उनका, इश्क़ में गिरफ्तार करने को
एक नज़र प्यार से देख लीजिये, तैयार हैं हम बर्बाद होने को I

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26 MAY 2021 AT 11:03

तेरी आगोश में गर जो कुछ पल बीत जाए,
एक लम्हे में ही फिर सारी उम्र गुज़र जाए I

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18 OCT 2020 AT 11:13

मैं तुमसे कैसे कहूं ऐ मेहरबां मेरे,
के तू इलाज़ है मेरी हर उदासी का।

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4 JUN 2020 AT 14:13

तस्वीर में, तस्व्वर में
ख्वाबों में, खयालों में
मेरी बेताब नज़रों ने
जिधर देखा सिर्फ तुम्हें देखा

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27 MAY 2020 AT 9:24

ख़त्म कर दी मोहब्बत की दास्तां तुम पर
नाम लिखा जब तुम्हारा अपने दिल पर ।
तोड़ दिया क़लम आशिक़ी की
तुम बन गए आखरी मोहब्बत दिल की ।

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20 MAY 2020 AT 13:58

अपनी सांसों के दामन में छुपा लो मुझको,
तुम्हारी रूह में उतर जाने को जी चाहता है।

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17 MAR 2020 AT 23:32

उनकी मर्ज़ी को अपना नसीब बना लिया हमने
हस्त ए लकीर सारी ख़ुद से मिटा लिया हमने,
चलो अब दरिया की तलचटो में सकूं तलाशें
साहिलो पे अब तलक बहोत घरोंदे बना लिया हमने।

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1 AUG 2019 AT 7:01

रास्ते अगर जुदा हुए तो कोई ग़म नहीं
हम आगे को फिर भी बढ़ते जाएंगे
मुकद्दर में गर हुआ कहीं मिलना
ये रास्ते खुद ब खुद टकराएंगे

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