वो वक्त सी थी...
जो गुजर गई...
मैं यादों सा था...
जो ठहर गया...-
Jb Zindgi se ruksat ho gye ho to
Yaadon se ruksat kyu nhi ho jate...-
दिल की अँधेरी गलियों में...
जब तन्हाई सी छा जाती है...
तब तेरी यादों की मिठी आहट...
हौले से मुझे जगाती है...-
उनकी यादों से टकराकर,
बिखरकर चूर रहते हैं...
कुछ इस तरह उनके इश्क में...
हम मजबूर रहते हैं...-
उनके सितम के सरहदों...
के पार अब नहीं निकलना है...
उन्हीं की यादों में चिराग बनकर...
अब हमें ताउम्र जलना है...-
इश्क में तेरी यादों को लेकर...
दिल दिमाग में दंगा है...
एक आँख से यमुना है बहती...
तो दूसरी आंँख में गंगा है...-
आज फिर पूरा दिन...
तेरी यादों को दे दिया...
तेरा संदेशा ना आया...
और शाम भी ढल गया...
मुझे मालूम है की एक...
मुद्दत से बेवफा है तू...
फिर क्यों इस बार भी...
तुझ पर भरोसा कर लिया...-
जला दी हो ना दिल मेरा...
बस अपना दिल महफूज रखना...
तेरी यादों से भी ना छेड़छाड़ करूंँगा...
बस इतना तुम निश्चिन्त रहना...-
तेरी यादों, तेरी बातों का असर...
कुछ इस तरह छाता है...
मैं आईना भी देखने जाऊंँ...
तो तू ही नजर आता है...-