जो गर कह दू की प्यार है..!
राधा तो ना बना लोगे
रूखमणी को हक दे
मुझे उसकी रकीब तो ना बना दोगे
इतिहास रचने के वहम में
कही सिर्फ वादो से लिपटा एहसास तो ना थमा दोगे
मेरा हर वक़्त मयस्सर होना तेरे लिए,
मेरी कमजोरी तो ना समझ लोगे
तुम्हारे खातिर इज़्तिरार होने को,
मेरे खिलाफ ही तो हथियार तो ना बना दोगे
अगर जो तुम्हे ज़िन्दगी में दाखिल किया तो
हाकिम बन,तुम राज तो ना करने लगोगे
इनायत जो समझने लगू तुझे तो
उसे मेरी भूल तो ना बता दोगे
तुझ संग इश्क़ करने को
मेरी नदामत की वजह तो ना बना दोगे
फितूर जब चढ़ जाएगा तुम्हारा
तो बोसिदा कह कर ज़िन्दगी से बेदाखिल तो ना कर दोगे
इमरोज मुझ संग इश्क़ जता
फर्दा कही और तो ना मसगुल हो जाओगे
अगर जो इन भेदों की राज खुल जाएंगे
और तुझे भी कभी मुझ संग इश्क़ होगा
इसके रम्ज़ मिल जाएंगे
तब इजहार करूंगी, और ना हुआ गर प्यार
तो तेरे हिज्र का ही एतबार करूंगी..।
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