ना किसी के होठों की तबस्सुम होना चाहती हूँ,
ना इश्क में किसी के लिए फना होना चाहती हूँ!
मैं खुद से एक बार इश्क करना चाहती हूँ..,
हाँ,मैं हर जन्म में लड़की होना चाहती हूँ..!!-
गंगा का घाट से इश्क करना,कुछ यूँ मैं तुझसे इश्क करना चाहती हूँ..,
प्रयागराज में नदियों का संगम,जैसे रूह को रूह से मिलाना चाहती हूँ!!
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वो महाकाल का पुजारी और मैं महादेव की दीवानी.....,
हम दोनों को सिर्फ एक से मुहब्बत है,और वो है भोले भंडारी!!
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शायद, मजबूरियाँ इतनी मजबूर नहीं होती,
काश! ये भी किसी से इश्क करके देखती!!-
काश! रहगुजर की वो ठोकरें,मेरा इश्क समझ लें....,
ख्वाबों में नहीं,हकीकत में उसकी बाँहों में मुझें गिरा दें!!-
माना मंजिलें नहीं मिलती रूह से मुहब्बत करने वालों को,
कोई रहनुमा को पत्थर और रहगुज़र को ख़ुदा मान लो!!-
मैं कोई बंद किताब नहीं,जिसे पढ़ने की तलब हो,
लोग तो बंद किताबों से भी,दगा कर जाया करते है!!-
जिस मिट्टी से मिलनें की तलब,बारिश की बूँदों में हो,
वो मरूभूमि राजस्थान है,जहाँ इश्क आँसमा को सहरा से हो!!-
अब तो उनसें इश्क करना
भी जैसे गुनाह-सा लगता है....,
जिस्मानी मुहब्बत से अच्छा,
दिल का टूटना जायज लगता है!!-
तुम अपना मुक़द्दर लिखते रहो,जमाने में सिफ़र बहुत है!
तुम दिल से उलफ़त करते रहो,जमाने में हसरतें बहुत है!!
जमाने से मुख़्तलिफ होने का,जो तुम ख़्वाब देखते हो,
ऐसी ग़लफ़त कभी मत करना,क्योंकि जमाने में नदामत बहुत है!!
एक तक़सीर के बदलें, तोहमतें बहुत है,
जहाँ देखोगें,जमाने में ख़ुदगर्ज़ बहुत है!!
किसे-किसे बताओगें,सदाकत अपने दिल की,
जहाँ देखोगें,ज़माने में चेहरे से फरेबी बहुत है!!
रूहानी मुहब्बत की बातें,अपने दिल को क्या समझाओंगें,
यहाँ हर कोई,जमाने में ज़िस्मानी बहुत है!!
छोड़ दो फ़िक्र करना अब,अब्सार से आँसू बहाना अब,
जहाँ सुनोगें,वहाँ ज़मानें में मुख़ालिफ बहुत है!!
प्यार,प्रेम,मुहब्बत,रिफ़ाकत सब जायज है,बस तुम इश्क़ करना छोड़ दो,
जहाँ बगावत करोगें,वहाँ ज़मानें रश्क़ बहुत है!!-