आज भी वो दीवारें याद करतीं हैं मुझको ,
अधेरें कमरे से आज भी आहें निकलतीं हैं !
@सर्वाधिकार_लेखकाधीन
#Swabhimsn_Singh-
मैं तो तुझे दिल के करीब रखता हूं,
तू सुन तो सही मैं भी गीत लिखता हूं !
@सर्वाधिकार_सुरक्षित
#Swabhiman_Singh-
मेरी आंखों के सिंधु को प्रिये एक बार तुम देखो
बाढ़ इनमें नहीं आती मगर दिन-रात बहते हैं,
तरल आंखों को करते हैं कपोलों को सजल करते
मगर दिल की अंगींठी में तो अंगारे दहकते हैं,
जलीं जब बस्तियां दिल की अंधेरे में हवाओं से
सुलगते छप्परों से फिर दर्द के गीत निकले थे,
सहेजीं थीं मैंने यादें तुम्हारीं एक पिटारे में
मगर यादों के वो मोती ही मेरा काव्य रचते हैं |
@सर्वाधिकार_लेखकाधीन
#Swabhiman_Singh-
जब न बने कविता तो मत तुम खींचकर उसको बनाओ
व्यर्थ के मोती पिरोकर कंठियां तुम ना सजाओ
स्वर्ण झाले और बुंदे मछलियों से ही सजो तुम
कान में लटके लिली के व्यर्थ ही कुंडल हटाओ
@सर्वाधिकार_लेखकाधीन
#Swabhiman_Singh-
तेरे केशजाल में प्रेयसि
एक गुलाब हमारा भी था,
अधर-सुमन हो गये एक से
रूप-निखार तुम्हारा ही था,
तेरे केशजाल में प्रेयसि
एक गुलाब हमारा भी था |
#Swabhiman_Singh-
कमी तो कुछ नहीं फिर भी
तुम्हारी याद है आती ,
आँख से दर्द बहते हैं
हृदय में गाद जम जाती !
@सर्वाधिकार_लेखकाधीन
#Swabhiman_Singh-
आज मैं घर देर से पहुंचा, मैंने कुण्डी खटखटाते हुए शान्ति को आवाज लगाई , शान्ति ने आकर दरवाजा खोल दिया , मैं शान्ति को एकटक निहारने लगा , शान्ति नजरें झुकाये खड़ी थी मैंने उसे अपनी ओर आकर्षित करना चाहा, तभी वहां रति आ गयी , रति मुझसे बतलाने लगी , रति अपने साथ तर्केश्वरी को भी लायी थी जिससे मेरा साथी लोभांश बातें करने लगा , लोभांश और तर्केश्वरी को बतलातें हुए द्वेषिनी ने देख लिया, उसकी आंखें लाल हो गयीं, तभी वहां द्वेषिनी का बेटा रौद्रांश आ पहुंचा , अपनी मां की पीड़ा जानकर वह आगबबूला हो उठा और उसने गम्भीर रूप धारण कर लिया, इतने में ही किसी के गिरने की आवाज सुनाई दी, भीतर जाकर देखा तो मेरी बेटी मोहनी सीढ़ियों से गिरकर परलोक जा चुकी थी, रौद्रांश चुप हो गया , रति तर्केश्वरी और द्वेषिनी अपने अपने घर चली गयीं, लेकिन इन सबके बीच मेरी "शान्ति" जाने कहां चली गयी जिसे मैं आज तक नहीं ढूढ़ पाया |
ऊं शान्ति ! शान्ति!! शान्ति!!!
#Swabhiman_Singh-
हैवान, शैतान, परेशान
क्या कहूं तुझे इंसान,
ऊपर तू गुलजार है
और भीतर शमशान !
@सर्वाधिकार_लेखकाधीन
#Swabhiman_Singh-
स्ट्रेट केश औ' चश्मे पे ना इतराओ प्रिये,
तेरा 'दिल जीतने का हुनर' मेरे पास भी है !
#Swabhiman_Singh-