हवेलियां जो खंडहर हो चुकी.....
अपनी कहानियां बयां करती हैं :- -
बरसों गुजर चुके हैं , जर्जर बिखर चुके हैं....
खामोशियों की चादर ओढ़े, वीरान से हम खड़े हैं.....
हर मौसम में सूने- सूने, बंजर से लगते हैं.....
यदा-कदा बारिशों में, हम भी मुस्कुरा लिया करते हैं....!!-
17 JUL 2020 AT 19:02