बेतहाशा जिंदगी से हारे हुए ....... ..........
संभलते संभलते संभले ही थे...... ..........
कर दी थी दफन गुजरी यादों की किताब...
फिर सामने आ गई किसी तूफान के साथ...
दरमियां वह लम्हे गुजरने लगे..................
प्यार भी था जिसमें दर्द के साथ............!!
जुदा दिशाओं में जो रहते थे कभी. ......
टकरा गए वह दो बादल तूफान के साथ . ..
आंखों में कैद आंसू "बरसों" रहे. ............
बेतहाशा बेपरवाह आज बरसने लगे. ....!!-
♠️ Kalam k sath jindgi 🖋️🖋️
♠️ Ek... read more
जब पवन जल को छुकर गुजरती है......
जल को शीतल मन कर देती है..........!!
थोड़े वेग से जब जल से होकर गुजरती है.
जल मन में लहरें उत्पन्न कर देती है........
जब पवन आक्रोशित हो जाती है...........
सुनामी बनकर क़हर ढा जाती है..........!!
जब पवन जल को छुकर गुजरती है.........
जल को शीतल मन कर देती है............!!
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बादलों से बनती वो छवियां........
लगता है जैसे कुछ कह रही........
खो सा गया मन मेरा.................
इन बादलों में कहीं..................
मन को लुभाती आंखों को भाती...
हर पल बदलती यह आकृतियां..!!
बादलों से बनती वो छवियां........
लगता है जैसे कुछ कह रही.......!!-
आवाजों की दुनियां में ये कहां आ गई में.....
चारों तरफ है शोर और मेरी ख़ामोशियां......!!-
मुझे पसंद है यह गहराइयां...............
इन राहों की मंजिल कहां,..... ..........
अनंत तक बस गहराइयां.................
बिना रुके बस चलती रहूं यूं ही...........
कर दूं हवाले इन गहराइयों में खुद को..
डूब जाऊं मैं इन गहराइयों में कहीं......
उड़ने लगूं आजाद पंछी की तरह........
गुम हो जाऊं इन गहराइयों में कहीं......
मुझे पसंद है यह गहराईयां.............!!
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दिए कि लौ सा जलता है......!!
मद्धम_ मद्धम रोशनी में.......
कोई तो ख्वाब बुनता है.......!!
नए सवेरे के साथ..............
फिर से सूरज उगता है........!!
लगाकर सुरमा आंखों में......
फिर से चश्मा पहनता है......!!
नई कहानी जीवन की..........
लिखने को मचलता है.........!!
आज भी दिल ये करता है.....!!-
*किताबी ज़िंदगी*
यादों के कागज़ पर, उकेरी ज़िंदगी....
यादों में बार-बार, पढ़ डाली ज़िंदगी ...
कमबख्त समझ ही नहीं आई............
यह किताबी जिंदगी ......................!!
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तू क्यों कहे खुद को अजनबी...............
हर वक्त तेरा चेहरा लगे जाना पहचाना....
इत्तेफाक तो नहीं, तेरा हर बार.............
मुझसे यूं ही टकरा जाना.......................
और यह जानी पहचानी सी महक.........
मेरे जेहन में छोड़े जाना......................!!-
Balance is important.......
प्रकृति अपने पांच तत्वों के साथ संतुलन बनाए रखती है...
संतुलन बनाए रखने में प्रकृति हमारी भी बहुत मदद करती है....
खुद की मदद खुद करने में हमारी कोशिशें भरपूर हों...तो प्रकृति साथ है....
हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वालों का प्रकृति भी साथ छोड़ देती है ...
असंतुलन प्रकृति का हो या किसी जीव या इंसान का घनघोर तबाही लाता है.....
"संतुलन होना जरूरी है"-
क्यों दूर चले गए आज हम खुद से ही....
किस उधेड़बुन में लगे हैं, आज हम खुद से ही...
नहीं करते बातें किसी से, बस करते हैं तो खुद से ही..
पूरे हुए सारे सपने, समेट लिया खुद को खुद में ही...
आजाद कर दिया सभी को,
कैद कर लिया बस खुद को ही....
किसी तरह का कोई गम नहीं,
खुश है मगर आज हम खुद से ही.....!!-