Madhu Pareek  
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Joined 23 April 2019


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Joined 23 April 2019
4 MAY AT 22:13

बेतहाशा जिंदगी से हारे हुए ....... ..........
संभलते संभलते संभले ही थे...... ..........
कर दी थी दफन गुजरी यादों की किताब...
फिर सामने आ गई किसी तूफान के साथ...
दरमियां वह लम्हे गुजरने लगे..................
प्यार भी था जिसमें दर्द के साथ............!!

जुदा दिशाओं में जो रहते थे कभी. ......
टकरा गए वह दो बादल तूफान के साथ . ..
आंखों में कैद आंसू "बरसों" रहे. ............
बेतहाशा बेपरवाह आज बरसने लगे. ....!!

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18 APR AT 21:38

जब पवन जल को छुकर गुजरती है......
जल को शीतल मन कर देती है..........!!
थोड़े वेग से जब जल से होकर गुजरती है.
जल मन में लहरें उत्पन्न कर देती है........
जब पवन आक्रोशित हो जाती है...........
सुनामी बनकर क़हर ढा जाती है..........!!
जब पवन जल को छुकर गुजरती है.........
जल को शीतल मन कर देती है............!!

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11 APR AT 16:59

बादलों से बनती वो छवियां........
लगता है जैसे कुछ कह रही........
खो सा गया मन मेरा.................
इन बादलों में कहीं..................
मन को लुभाती आंखों को भाती...
हर पल बदलती यह आकृतियां..!!
बादलों से बनती वो छवियां........
लगता है जैसे कुछ कह रही.......!!

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7 APR AT 22:17

आवाजों की दुनियां में ये कहां आ गई में.....
चारों तरफ है शोर और मेरी ख़ामोशियां......!!

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24 MAR AT 16:43

मुझे पसंद है यह गहराइयां...............
इन राहों की मंजिल कहां,..... ..........
अनंत तक बस गहराइयां.................
बिना रुके बस चलती रहूं यूं ही...........
कर दूं हवाले इन गहराइयों में खुद को..
डूब जाऊं मैं इन गहराइयों में कहीं......
उड़ने लगूं आजाद पंछी की तरह........
गुम हो जाऊं इन गहराइयों में कहीं......
मुझे पसंद है यह गहराईयां.............!!

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19 DEC 2024 AT 11:15

दिए कि लौ सा जलता है......!!
मद्धम_ मद्धम रोशनी में.......
कोई तो ख्वाब बुनता है.......!!
नए सवेरे के साथ..............
फिर से सूरज उगता है........!!
लगाकर सुरमा आंखों में......
फिर से चश्मा पहनता है......!!
नई कहानी जीवन की..........
लिखने को मचलता है.........!!
आज भी दिल ये करता है.....!!

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19 DEC 2024 AT 10:44

*किताबी ज़िंदगी*
यादों के कागज़ पर, उकेरी ज़िंदगी....
यादों में बार-बार, पढ़ डाली ज़िंदगी ...
कमबख्त समझ ही नहीं आई............
यह किताबी जिंदगी ......................!!

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21 NOV 2024 AT 22:07

तू क्यों कहे खुद को अजनबी...............
हर वक्त तेरा चेहरा लगे जाना पहचाना....
इत्तेफाक तो नहीं, तेरा हर बार.............
मुझसे यूं ही टकरा जाना.......................
और यह जानी पहचानी सी महक.........
मेरे जेहन में छोड़े जाना......................!!

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19 NOV 2024 AT 16:01

Balance is important.......

प्रकृति अपने पांच तत्वों के साथ संतुलन बनाए रखती है...
संतुलन बनाए रखने में प्रकृति हमारी भी बहुत मदद करती है....
खुद की मदद खुद करने में हमारी कोशिशें भरपूर हों...तो प्रकृति साथ है....
हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वालों का प्रकृति भी साथ छोड़ देती है ...
असंतुलन प्रकृति का हो या किसी जीव या इंसान का घनघोर तबाही लाता है.....

"संतुलन होना जरूरी है"

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3 SEP 2024 AT 15:19

क्यों दूर चले गए आज हम खुद से ही....
किस उधेड़बुन में लगे हैं, आज हम खुद से ही...
नहीं करते बातें किसी से, बस करते हैं तो खुद से ही..
पूरे हुए सारे सपने, समेट लिया खुद को खुद में ही...
आजाद कर दिया सभी को,
कैद कर लिया बस खुद को ही....
किसी तरह का कोई गम नहीं,
खुश है मगर आज हम खुद से ही.....!!

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