ना जाने कब उनसे प्यार हो गया...
प्यार भी जनाब बेशुमार हो गया...!!!!
ना जाने कब दिल को उनकी आदत लगी...
ना जाने कब दिल उनका तलबगार हो गया...!!!!
ना जाने कितनी बेवफाईयाँ देखी हैं हमने उनकी...
उनसे बेवफाईयाँ सिख कर ये नादान दिल भी बेवफाओं का सरदार हो गया...!!!!-
ना जानें क्यों उलझन में रहता हैं ये मेरा दिल...
किस-किस सें मैं अपने हालात छिपाता हूँ...!!!
लोग समझते हैं शायरी महज शब्दों का खेल ...
मैं अपने दिल के जज़्बात बयां कर जाता हूंँ...!!!-
आपसे बेपनाह मोहब्बत का बस एक यही अंजाम पा रहे हैं...!!
दिन आपकी यादों में और रातें तारों से बातें करके बीता रहे हैं...!!
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जरा सा सब्र रख मेरे मन,
अभी किस्मत का खेल जारी है।
मोहब्बत में हार गए तो क्या हुआ,
अब सारा जहां जितने कि तैयारी है।।-
वो रोज कहती थी हम भाग जाएंगे,
और फिर वो भाग गई मुझे ले जाना भूल गई..-
खुदा ने हमें ऐसा बनाया है...
खुदा ने हमें ऐसा बनाया है...
सब कुछ सह कर,चुप रहना सिखाया है।
बिना कोई शिकायत के भी,ये पूछना चाहते हैं उससे...
की...खुदा ने हमें ऐसा क्यूं बनाया है!?
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Mujhe tusse pyar tha
Pr tu bewafa tha
Mere pyar ko kya samjhta
Jb tujhe khud se hi
shikayate tamam thi-
जब वो मिला मेरा हमउम्र था
फिर लगने लगा हमसफर सा
आज वो मेरा हमदर्द भी नहीं
जो कल मेरा हमबिस्तर था
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