opensky_ poet   (Aparna Nayak)
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Joined 31 May 2021


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13 MAR AT 11:59

सच में यार...दाग तो रह जाते हैं।
दिल को तसल्ली देने वाले अक्सर घाव बन जाते हैं।

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18 JAN AT 19:35

जब तक तुम थे मेरे पास,
मुझे ना थी कुछ पाने की आश।
आज तुम्हारे बिना मैं डायरी के साथ...
बांटती रहती हूं तन्हाई का एहसास।

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17 JAN AT 14:10

କେତେ ଯେ ସ୍ଵପ୍ନ କୁ ଧୂଳିସାତ କରି ଆସିଛି ମୁଁ!
ଭାଙ୍ଗି ଯାଇଛି ସତ...
ହେଲେ ହୃଦୟ ର ପ୍ରତି ଟୁକୁଡ଼ା କୁ ସାଇତି ରଖିଛି ମୁଁ।
ତୁମ ନିଷ୍ଠୁର ହୃଦୟ ରୁ ମିଳିଥିବା ବିଶ୍ୱାସଘାତକତାର ସାକ୍ଷୀ ଯେ କେବଳ ମୁଁ!
ମୁଁହ ଖୋଲି କେବେ ଅଭିଯୋଗ କରିନି ସତ...
ତୁମ ଭଲ ପାଇବା ର ମରୀଚିକା ପଛେ ଧାଇଁଥିଲି ମୁଁ।
ପ୍ରେମ ର ପ୍ରତିଛବି କୁ ବାସ୍ତବ ଭାବି,
ତୁମ ହସ ର କାରଣ ହେବାକୁ ଚାହିଁଥିଲି ମୁଁ।
ହେଲେ ଭାବି ଯେ ନଥିଲି...
ତୁମ କୁ ହସ ଦେବା ବଦଳ ରେ,
ଦୁଃଖ ର ଦରିଆ ରେ ଭାସି ଯିବି ମୁଁ!
ନିଜ କଥା ଚିନ୍ତା କରି ନଥିଲି,
ବୋଧେ ମୋ ମାଆ ର ରୂପ ଟିଏ ସାଜି ଥିଲି ମୁଁ।
କିନ୍ତୁ, ମୋ ମାଆ କୁହେ... "ଅନ୍ୟ ର ଖୁସି ଦେଖିବୁ ନିଜ ଖୁସି ଭୁଲି ଯିବୁ ନାହିଁ।"
ମୁଁ ଅଧା ହିଁ ବୁଝି ପାରିଥିଲି ବୋଧେ,
ଏବେ ଆଉ ନିଜକୁ ବୁଝାଇ ପାରୁ ନାହିଁ ମୁଁ।
ଯେତିକି ସମୟ ତୁମେ ସାଥେ ଥିଲ ମୋର,
ନିଜର ସତ୍ତା କୁ ଅନୁଭବ କରିଥିଲି ମୁଁ।
ଆଜି ଯେତେବେଳେ ତୁମ ବିରହ ମୋତେ ଭାବିବାକୁ ବାଧ୍ୟ କରେ,
ତୁମ ବିନା କିଛି ନାହିଁ ମୁଁ, କିଛି ନାହିଁ ମୁଁ।

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18 JUN 2023 AT 6:13

।।बाबा।।

घर के छत जैसे हमारे जीवन की छाया हो,
प्रकृति का अद्भुत सृष्टि आप मेरे बाबा हो।

कंधे में बिठा के मुझे दुनिया घुमाते हो,
परिवार का नियोजक आप मेरे बाबा हो।

सुख,शांति त्याग कर हमारी जिंदगी संभालते हो,
वह सरल इनसान आप मेरे बाबा हो।

ना किसी चिंता या विपत्ति जब आप साथ हो,
सारे मुश्किल दूर करते हो,आप मेरे बाबा हो।

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10 DEC 2022 AT 9:46

ତୁ ଜାଣିଛୁ ମାେ ଜୀବନ ର କିଛି ମାନେ ନାହିଁ ତୋ ବିନା...
ହେଲେ,ତୁ କହୁଛୁ ଦୂରେଇ ଯାଆ ରେ ମୋ ସୁନା!
ରଖିଥିଲି ମୁଁ ତୋ ପାଇଁ ସୁନା ର ଉଆସ...
ସମୟ କୁ ଅପେକ୍ଷା କରିଥିଲି ଦେବି ଦିନେ ତୋତେ ମୋହରି ହସ।

ତୁ ଅବୁଝା ହେଇ ଚାଲିଯାଉ ତୋ ମନ ରାଇଜେ...
ହେଲେ ଏ ଅବୁଝା ହୃଦୟ ଖାଲି ତୋରି ସ୍ବପ୍ନ ରେ ହଜେ।

ଯିବାକୁ ଚାହୁଁଛୁ ଯଦି,ଚାଲି ଯାଆ...
ରୋକିବିନି ମୁଁ ତୋ ସୁଖ ର ବାଆ।
ଚାହିଁବୁ ଯଦି ତୁ ଫେରିଆସି ପାରୁ...
ତୋ ନାଁରେ ଲେଖା ପରା ମାେ ମନ ଗାଆଁ।

କଥା ଟିଏ କହୁଛି ଯଦି ତୁ ପାରିବୁ,
ଥରୁ ଟିଏ ଦେଖିବାକୁ ମୋ ଗାଆଁ ଆସିବୁ,
ଶୋଇଥିବ ମାେ ଦେହ ଛ' ଖଣ୍ଡ ବାଉଁଶ ରେ...
କଥା ରଖିବାକୁ ପଦେ ଆହା!କରିଦେବୁ।

ମାେ ତନୁ ପାଖରେ ଟିକେ ବସି ଯେ ଭାବିବୁ...
ଗଲା ବେଳେ ବି କନ୍ଦେଇଲା ଏ ହୀନ ମାନବୀ,
ଅଶାନ୍ତି ର ବାର୍ତ୍ତା ଘେନି ଆସିଥିଲା ଯାହା ଛବି।

ଏତିକି କହୁଛି ରେ ଧନ... ଭାବିବୁନି ଆନ,
ମୋ ହୃଦୟ କାନ୍ଦୁଛି ପ୍ରେମ ବିରହ ର ଗାନ।
ଜିଁଥିବି ଯଦି ଦେଖା ହବ ଦିନେ,
ମରିଗଲେ ଆଜି, ଭୁଲି ଯିବୁ ଦୁଇ ଦିନେ।

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23 NOV 2022 AT 23:20

सौ रात जाग गए...
पर इन आशुओं को रोक नहीं पाए!
वजह बहुत छोटी थी...
हम खुद के लिए गैर होते गए!
सहारा देने की कमी नहीं थी...
गैरों की तसल्ली बहुत काम आए!
फिर भी अकेले में सहारा उस...
बांके बिहारी से दुआ करते रहे!

🙏🏻Radhe Radhe 🙏🏻

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20 NOV 2022 AT 9:48

सुकून का रास्ता ढूंढते ढूंढ़ते तन्हाई ने अपना लिया 🙂
जब तन्हाई में सुकून से जीना चाहा...दर्द ने गले लगा लिया।

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12 NOV 2022 AT 23:19

क्या ज़िन्दगी है जनाब!
सब को खुश करते करते हम उदाश हो गए...
सब को मुस्कान दे कर हम दुःखी हो गए...
आशुओं के बाड को रोक कर खुद आशु में भीग गए...
सब का हाल पूछ कर भी सब से दूर हो गए...
सब को भीड़ में मिला कर खुद अकेले रह गए...

भगवान ने हम को फुरसत में ही बनाया होगा ना!

कहना चाहते हैं हम बहुत कुछ...बातें अधूरी रह जाती है।
पुरा करने का मौका भी नहीं मिलता...दूसरों के बात सुरु हो जाती है।

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30 OCT 2022 AT 13:57

इन आंखों से आशु टपकते रहे...
और, हम बस तेरा ही इंतेजार करते रहे।

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14 OCT 2022 AT 9:03

इन आशुओं की कीमत किसे पता होगा...
ये दिल बहलाने के लिए थोड़ी है!
किसे पता कितने गम छुपे हैं एक ही बूंद में...
ये रेगिस्तान का बारिश थोड़ी है!

आशुओं के भी मुस्कान बड़ी खास होती है...
शायद ये दर्द - ए - जख्मों का तिजोरी है!
बिखरे हुए अल्फाजों के भीड़ को सिमटा के..
आशुओ के बाड आंखों से हो कर उतर जाते हैं।

ये होठ भी बड़ा प्यासी है...
एक ही बार में इसका प्यास मिटता नहीं है!
शायद एक वजह ये भी है...
आशुओं को लाइन में खड़ा कर देता है!

ऐसे कितने आंखें होंगे ना...
बिन बरसात के भीगते होंगे!
खुदा करे इस दर्द को कम...
शायद हम भी इनमें से एक हैं।

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