#selfनामा
दिल के सारे सवाल खत्म कर दे
एसा जवाब ढूंढने निकली हूं।
आंखो में बसा दर्द छुपा दे
एसा नकाब ढूंढने निकली हूं।
गलतियां कर के भी फायदा मिले
एसा हिसाब ढूंढने निकली हूं।
बिना पढ़े ही सब मेहसूस हो जाए
ऐसी किताब ढूंढने निकली हूं।
वर्षो का संघर्ष खूबसूरत तरीके से टकराए
बस उसी राह में राह ढूंढने निकली हूं।
सब्र किया है हर बार जिस चीज के लिए
उसके फल का स्वाद ढूंढने निकली हूं।
खबर हर बात की है, बस जताती नहीं
नज़र ना लगे इसलिए नजरबट्टू ढूंढने निकली हूं।
जो नादान समझ के कम आंकते है
उनको समझाने के पाठ ढूंढने निकली हूं।
-Shana Malek
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#Selfनामा
धड़कन जरूरी है या सांसे
फर्क करना अपने आप ही आ रहा है।
दोस्ती जरूरी है या मोहब्बत
तर्क करना अपने आप ही आ रहा है।
बिना सोचे खर्च किए जज्बातों के
हिसाब लगाना अपने आप ही आ रहा है।
दर्द भरे जख्मों पे
मरहम लगाना अपने आप ही आ रहा है।
बढ़ती उम्र और अनिश्चित भविष्य के
जिम्मेदार बनना अपने आप ही आ रहा है।
जो शुरू भी नहीं हुआ
उसे खत्म करना अपने आप ही आ रहा है।
बिखरे हुए सपनो को
समेटना अपने आप ही आ रहा है।
जिंदगी के इस सफर में
मंज़िल सर करना अपने आप ही आ रहा है।
अब तो सुनना भी सिख लिया है
इसलिए लिखना भी अपने आप ही आ रहा है।
—Shana Malek
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#self नामा
में बेहतर लिखती जाऊंगी,
आप सब बेहतर पढ़ते रहना बस।
कुछ लिखूंगी अपनी बातो में,
अपने हिसाब से समझते रहना बस।
कभी लिखूंगी आप सबके राज भी,
समझ के अपने पास ही रख लेना बस।
कल को छोड़ो, इतना समझलो,
क्यों है लिखा आज, इतना जान लेना बस।
मेरी लिखावट आप समझ पाओगे,
मेरे लिए तो इतना ही सुकुन काफी होगा बस।
-Shana Malek
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सुनो…
अब में थक रही हु...
सबको संभालते - संभालते और साथ में खुदको समझाते
अपनो का साथ देते देते और खुदका साथ अपनो के साथ निभाते - निभाते..
में बिखर रही हूं...पता नही कोई क्यू नही देख पाता..!
में जो बोल रही हु... पता नही कोई क्यू नहीं सुन पाता..!
कोई साथी भीड़ में चाहिए अब मुझे
जो साथ भी दे और सही गलत बताए मुझे..।
मेरी खामोशी के कान बन सुन पाए मुझे..।
मेरी बेचैनी में सुकुन दे पाए मुझे..।
मेरे जुनून और ताकत से सराहे मुझे…।
हर मुश्किल रास्तों को हँस के पार कराए मुझे…।
जब भी जरूरत हो खुदको मुझ साथ महसूस
कराए मुझे..।
मेरी थकान में खुदका कंधा दे जाए मुझे..।
अब में थक रही हु...
सबको संभालते - संभालते और साथ
में खुदको समझाते।।
-Shana Malek
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#Selfनामा
में घर पहुंची, जूते उतारे और कुर्सी पर बैठी
एक गहरी सांस लेते हुए कहा -
"आज बहुत काम था दफ्तर में, थक गई"।
वो अंदर जा कर मेरे लिए चाय बना लाया
और खुद के लिए ग्रीन टी'।
" तु चिंता मत कर में हु ना, तु मस्त चाय पी"
भाई का मुझसा प्यार महसूस किया मैंने।
फिर दोनो बैठे और एक दूजे की थकान को पिया।
और मनमें मैं सोचती रह गई
हर आदमी में इतनी औरत
और,
हर औरत में इतना आदमी
बचा रहना चाहिए।
- Kalamवाली-
पुराना कुछ भूलने के लिए,
रोज कुछ नया लिखती रहती हूं।
नजर ना आ जाए बैचैनीया किसीको,
इसलिए कल से थोड़ा बेहतर दिखती हूं।
गलतीसे भी किसीको तकलीफ़ ना दे दू,
इसलिए कभी कभी बेवजह जुकती हूं।
दिल का बोझ जुबां पे ना आ जाए,
इसलिए रोज़ थोड़ा थोड़ा खुदमे ही घूटती हूं।
जो सपने चाह कर भी हासिल ना हो सके,
उनकी यादों में रोज थोड़ा थोड़ा मिटती हूं।
ये तन्हाई कहीं मुझे पसंद ना आने लगे,
इसलिए महफिल में जरूरत से ज्यादा टिकती हूं।
हुनर के साथ पहेचान बरकरार रख,
हीरे जैसी चमक पाने के लिए रोज़ खुदको घिसती हूं।
लफ्ज़ कही गलत ना निकले ज़ुबान से,
इसलिए जरूरत से ज्यादा कहीं नहीं बोलती हूं।
-Shana Malek
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#Self नामा
जब तक जीत ना मिले
लोग हार ही समझते है।
जब तक काबिल ना बनो
लोग बेकार ही समझते है।
किसके काम ना आ सको तो
लोग खराब ही समझते है।
किसीसे थोड़ी मदद मांगो तो
लोग लाचार ही समझते है।
मेरा तो क्या है, मैं तो एक लेखिका हु
सत्य लिखूं तो लोग तानो की हकदार ही समझते है।
-Shana Malek
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#selfनामा
मैने कभी जूठ नही बोला, हां मेने छुपाया जरूर है बहुत कुछ
हां मेने बहुत से दर्द छुपाए है, क्योंकि में अपने दर्द की आहत अपनो को नही पहुंचाना चाहती थी।
हां मैने अपनी परेशानी छुपाई, क्योंकि में अपनी वजह से अपनो को परेशान नहीं देखना चाहती थी।
हां मैने अपने आंसू छुपाए, क्योंकि में अपनी वजह से अपनो की आंखों में नमी नही देखना चाहती थी।
हां मेने अपने मुश्किल दिनों को छुपाए, क्योंकि में अपनो की राते नही बर्बाद करना चाहती थी।
हां मैने अपने संघर्ष और परिश्रम को छुपाया, क्योंकि में अपनों को
खुद के साथ संघर्ष करते हुए नही देखना चाहती थी।
मैने कभी जूठ नही बोला, हां छुपाया जरूर है।।।
-kalamवाली-
सुन,
"तुझे ना समझ होने का ढोंग रचने की समझदारी
दिखानी है, उसीमें तेरी होशियारी साबित होगी"।
:उन्होंने कहा।।
लेकिन मैं ये कैसे करू?
सब तो लापरवाही कर रहे है
पर मुझे सब ने जिम्मेदार बना दिया है
मैं भूल कर भी गलती कैसे करू
सब ने मुझे समझदार बना दिया है।
ना समझी का कोई सवाल नहीं उठता
सबने मुझे होशियार बना दिया है
मैं चाह कर भी अपनी मनमानी कैसे करू
सब ने मुझे उम्मीदों का हिस्सेदार बना दिया है।
लेकिन,
उनका कहना भी गलत नहीं, क्योंकि
होने वाले परिणामों से वाकिफ जो है।
अतः
"ढोंग रचने की समझदारी कभी कभी
नुकसान से बचने की होशियारी
साबित हो सकती है"।
—Shana Malek
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#Self नामा
जिंदगी की उलझनों में फसती जा रही हूं
कुछ कर भी नहीं सकती इसलिए हसती जा रही हूं
जिंदगी के उस पड़ाव पे आके अटक रही हूं
मंज़िल साफ़ दिख तो रही है, पर रास्ता भटक रही हूं।
समझ नहीं आता में क्या करु
टूट ही जाऊं या उम्मीद से भरु
किसीको पाने से, या खुदको खोने से डरु
सबके सपने संभालु या अपनी खुशियों पे मरु
बेबाक हो के सब बोल दु, या थोड़ी धीरज धरु
आप ही समझाओ अब में क्या करु!
-Shana Malek
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