तू कभी रूठे तो मैं तुझको मनाने आऊँ
तू कभी टूटे तो मैं अपनापन दिखाने आऊँ
मन करता है तुझको चाँद के पार ले जाऊँ
मैं तुम्हारे लिए बादलों का झूला चुरा लाऊँ
तेरे लिए फूलों की पालकी बनाकर लाऊँ
चाँद तारो के बीच में सैर पर लेकर जाऊँ
तुझे छूकर गुजरे तो हवाओं से लड़ जाऊँ
तेरे लिए जंग हो तो दुनिया से भिड़ जाऊँ
पलकों सी कोमल दुनिया बनाकर लाऊँ
उसमे तुझको सब पर हुकुम चलाते पाऊँ
'कपिल' तेरे इंतज़ार में सदियों बैठ जाऊँ
अगर तु आकर कानो में कहे म्याऊँ म्याऊँ-
मैं रख लूँ दिल में चाहे कितनें भी ख्याल
लेकिन रह जाता है फिर भी एक मलाल
इतनी शिद्दत से चाहा मैंने बहुत लोगों को
पर हर शख्स किसी और का है फिलहाल-
मेरे जिंदगी के बैसाख में सावन तो आता है
पर मोहब्बत का जुगनू भीगकर मर जाता है-
मानते हैं कि मोहब्बत नेक होनी चाहिये
पर आदतें कतई मैंगो शेक होनी चाहिए
इस झूटी शर्म की चादर को उतार कर
बातें बिल्कुल दिल फेंक होनी चाहिए
रूहानी अंदाज जरूरी है मोहब्बत में
मगर कभी तो ये रातें एक होनी चाहिए
और बहते जज्बातों के उतार चढ़ाव मैं
मन की तासीर मिल्क केक होनी चाहिए
हमारे ज्ञान के चक्क्षु खुले किसी दिन
फिर उनमें कलाएँ अनेक होनी चाहिए
"कपिल" तलाशी बदन की हो तो फिर
वो ऊपर से नीचे तक चैक होनी चाहिए-
यार ! बेकाबू है तेरी यादें वरना इनको
मैं किसी गहरे तयखाने में छोड़ आता
चाय की टपरी पड़ती है बीच में वरना
मैं, अपने गम मयखाने में छोड़ आता-
एक एक पन्ने का ज्ञान लाखो का है
तुम मेरी सबसे कीमती किताब हो
और सफलताओं से भरी इस दुनिया में
तुम मेरा सबसे बेशकीमती खिताब हो-
यहां कई लोगों के स्वभाव रूखे है
कई ख्वाबों की टहनी के पत्ते सूखे है
कही बहती है नदियां नदियों में
कई तालाब और कई समंदर सूखे है
जो जो नम आंखों से लिखते खत
उनके भी कोरे कागज सूखे है
गीले रहें बाद तक कभी नहीं हुआ
दुःखों के बाद हर आँसू सूखे है
कही ममता में डूबे है रिश्ते तो
कही प्यार के पूरे दरिया सूखे है
जो पग पग गिला करे धरा को
वो बरसात से पहले बादल सूखे है
कपिल है मानवता की कई कलाएं
जिनमें रस के कई खजाने सूखे है-
एक गहरे लगाव की कीमत चुकाता फनकार हूँ मैं
खुदकी दर्दनाक कहानी का मुस्कुराता किरदार हूँ मैं-
यकीनन खुद के फैसलों से फांसले बढ़ते हैं
ये वजह को, लोग बेवजह बदनाम करते हैं-
उम्र देखकर मोहब्बत करना जरूरी है क्या
दोस्त है तो उससेआगे बढ़ना जरूरी है क्या
कभी उसकी शहतूत जैसी बातों में आकर
मेरा इस कदर फिसल जाना जरूरी है क्या
उसकी यादों का डाकिया जो चिठ्ठी लाता है
तो उसमें इश्क ही लिखा है ये जरूरी है क्या
मैंने सुना था, इंसान का दिल बच्चा होता है
उसकी हर ख्वाहिश पूरी हो जरूरी है क्या
सच हैं की उसकी आंखें बहुत खूबसूरत है
तो उनमें तेरा यूँ डूब जाना जरूरी है क्या
शायद वो अब जिंदगी के दूसरे पड़ाव पर है
उसका फिर शुरुआत करना जरुरी हैं क्या
कुछ रिश्तों के दायरों में रहना सीख कपिल
ये ज्यादा हँसी मजाक करना जरूरी है क्या-