चार दिन की ज़िंदगी हैं तू खुल के जिया कर
ए मेरे दिल अंदर ही अंदर तू मत घुटा कर,
ये हालात भी वक्त के साथ गुज़र ही जायेगें
इन हालातों का डट के तू सामना किया कर,
अपने ख़्वाबों को अंदर ही अंदर दफ़न मत किया कर
अपनी चाहतो को खुल के तू बया किया कर!
#KRITIKASETH-
नन्ही कली सी होती है बेटियाँ
मधुर संगीत सी होती है बेटियाँ,
खुबसूरत एहसास होती है बेटियाँ
आँगन की चिड़िया होती है बेटियाँ,
पिता की जान होती है बेटियाँ
माँ की लाड़ली होती है बेटियाँ,
महागौरी,महालक्ष्मी,महादुर्गा का रूप होती है बेटियाँ
नन्ही कली सी होती है बेटियाँ!
#KRITIKASETH
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कोरे कागज़ सी दुनिया थी मेरी
तुम अाए और स्याही बन कर बिखर गए उस पे,
ता उम्र ढुढती रही जिसे मैं ख्वाबो में
वो हकीकत बन आज मिल गए तुम मुझे,
ये रूठना मनाना तो हसरतें है हमारी
यू ही दिल जलाने की आदत है तुम्हारी,
बर्बाद मैने नहीं,
उन ज़ालिम आखों ने किया था तुम्हें
लेकिन आज भी तोहमतें,
सिर्फ मुझ पर ही लगती रहीं!
#KRITIKASETH-
अबकी सावन मे,
अपने आंगन में झूला लगाना,
मैं तुम्हारी राधा बन उसपे बैठ जाउंगी,
और तुम कृष्णा बन मुझे झुलाना।।
#Kritikaseth-
वो गोकुल का कन्हैया
वो बरसाने की राधा हैं,
एक दूजे के बिना
दोनो का जीवन आधा हैं,
वो विषभानु की दुलारी
वो नन्दबाबा का दुलारा हैं,
वो मधुर ध्वनि बांसुरी सी
वो रंग बिरंगा मयूर पंख हैं।
_Kritikaseth_-
वो पानी का दरिया हैं
उसको बहने दो अपने हिसाब से,
तुम पत्थर बन उसकी राह मत रोको
ये ज़िन्दगी उसी की हैं,
उसे जीने दो अपने हिसाब से
वरना एक दिन पछताओगे,
कई तारो के बीच
चमकता देख उसे आसमान में!
#Kritikaseth-
मेरे पायल की झनकार हो तुम
मेरे नैनो का काजल हो तुम,
मेरे मेहदी की लाली हो तुम
मेरे बालों का गजरा हो तुम,
मेरे चूङीयो की खनखन हो तुम
मेरे माथे की बिंदी हो तुम,
मेरे नथ का नगीना हो तुम
मेरे कान का झुमका हो तुम,
मेरे गले का मंगलसूत्र हो तुम
मेरे मांग का सिंदूर हो तुम,
मेरे इमान,मेरा मान हो तुम
मेरा सोलह सिंगार हो तुम!
#Kritikaseth-
किसी रोज की तरह आओ एक बार फिर मिलते हैं
अरे बातें ना सही एक-एक कुल्हड़ चाय ही पीते हैं!
#Kritikaseth
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बेशक हम झगड़ते है मगर
एक दूसरे के दर्द को समझते हैं,
भाई बहन का रिश्ता
किसी दोस्ती से कम नही!
#Kritikaseth-