हिंदुस्तानी ज़ुबानों की मिश्री
की डली हैं गुलज़ार साहब।
अहसासों, लफ़्ज़ों के मोती
की लड़ी हैं गुलज़ार साहब।
ग़ज़लों, गीतों की नुमाइंदगी
की कड़ी हैं गुलज़ार साहब।
त्रिवेणी, गद्य-काव्य विधाओं
के जनक हैं गुलजार साहब।
नई और पुरानी पीढ़ी की सर्जना
के हम कदम हैं गुलज़ार साहब।
जन-जन की सूक्ष्म अनुभूतियों
के हम-जबान हैं गुलज़ार साहब।
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#जन्मदिनमुबारक #HappyBdayGulzar
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वो लिखे हैं तो ग़ज़लों पे बहार है,
#Gulzar हैं तो दुनिया गुलज़ार है।
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18 AUG 2018 AT 21:53