#GitaGyaanAurGeet 7
"ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः। तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम्॥"
"जिसका अज्ञान ज्ञान द्वारा नष्ट हो चुका है, उनका ज्ञान सूर्य के समान प्रकट होकर परमात्मा को प्रकाशित करता है।"
Quote
Knowledge is the torch that illuminates the path out of the darkness of ignorance.”
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#GitaGyaanAurGeet 6
"नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।"
"तुम अपना काम करते रहो, क्योंकि काम करना न करने से बेहतर है।”
Quote
"Act without expectation and let your efforts speak for themselves.”-
#GitaGyaanAurGeet 5:
"मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः। आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥"
इंद्रियों के संपर्क से सर्दी-गर्मी और सुख-दुख आते हैं और जाते हैं, वे स्थायी नहीं हैं। इन्हें सहन करो।
Quote:
The only constant in life is change
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#GitaGyaanAurGeet 3
उद्धरेदात्मनाऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥"
मनुष्य को खुद ही अपना उद्धार करना चाहिए और खुद को गिराना नहीं चाहिए। आत्मा खुद की सबसे अच्छी दोस्त भी हो सकती है और सबसे बड़ी दुश्मन भी।
Quote:
Only you can save yourself; don’t be your own obstacle. Your soul can be your best friend or your biggest enemy—choose to make it your greatest ally.-
#GitaGyaanAurGeet 8
बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः। अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्
जो व्यक्ति अपने मन को जीत सकता है, वही सच्चा मित्र है। और जो व्यक्ति अपने मन को नहीं जीत सकता, उसका मन ही उसका सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है।
Quote
"Control your mind, and it becomes your best friend; fail to control it, and it becomes your worst enemy.”
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#GitaGyaanAurGeet 9
**"नहि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥
"कोई भी व्यक्ति एक क्षण के लिए भी बिना कर्म किए नहीं रह सकता, क्योंकि प्रकृति से उत्पन्न गुण सभी को अनिवार्य रूप से कर्म कराते हैं।"
यह श्लोक बताता है कि कर्म स्वाभाविक है, और हर व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार कार्य करना चाहिए। कर्म से ही जीवन आगे बढ़ता है।
Quote:
Your actions today shape your destiny tomorrow. Karma never loses an address-
#GitaGyaanAurGeet 4
"दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते॥"
"सच्चा बुद्धिमान व्यक्ति वही है, जो दुख में भी विचलित नहीं होता, सुख की इच्छा नहीं करता और आसक्ति, भय और क्रोध से मुक्त रहता है।”
Quote:
Freedom from attachment, fear, and anger is not merely the absence of these emotions but the presence of a peaceful and balanced mind
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