सही को सही और ग़लत को ग़लत
कहने की हिम्मत रखते हैं।
हम बहुत बुरे लोग हैं साहब,
झूठ से बहुत नफरत करते हैं।-
ये आज जो मेरी इन आँखों में पानी है।
कुछ तोड़ा है टूटे ख़्वाबों ने,,,,,,
बाकी सब मेरे अपनों की मेहरबानी है।-
दिल था मेरा.....❤
कोई Rough Copy नहीं...😣😣
जो तुम खुचड़मुचड़ करके चले गए।😫
अनपढ़, गँवार कहीं के....😡😡😡
😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂-
सच कहूँ...
तो मैं खुद बहुत थक गई हूँ...
दूसरों की परवाह करते करते...
अपनों के लिए अपनी खुशियाँ दाँव पर लगाते लगाते...
अपना दिल अपने ही हाथों दुखाते दुखाते...
मैं बहुत थक गई हूँ....
अपने दर्द को छुपाते छुपाते...
खुश होने का दिखावा करते करते...
कुछ बीती बातों को भुलाते भुलाते...
इन टूटे हुए ख्वाबों के साथ जीते जीते...
सच में बहुत थक गई हूँ मैं....
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मैंने पढ़ा है उनको
वो मोहब्बत पर शायरियाँ
बहुत ही लाजवाब लिखते हैं।
उनकी इतनी सारी तो मोहब्बतें हैं
Really I am confused...
आख़िर वो कौन सी वाली के लिए
लिखते हैं।-
आख़िरी साँस तक हम अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ते रहेंगे।
कितना भी मुश्किल हो सफ़र हम अपना जारी रखेंगे।
ये दुनिया लाख कोशिश कर ले हमें गिराने की..
हम फिर उठेंगे और अपना ख़्वाब पूरा करके रहेंगे।-
मेरे ख़्वाब तोड़ना थोड़ा मुश्किल है
क्योंकि अपने सारे ख़्वाब खुद ही तोड़ चुकी हूँ मैं।
मेरे ग़म और मेरी खुशियों की परवाह न करना,
क्योंकि हँसने के साथ-साथ
अब रोना भी
छोड़ चुकी हूँ मैं।-
जो देखे थे ख़्वाब कभी वो टूटकर बिखर रहे हैं।
ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद में..
हम अन्दर ही अन्दर मर रहे हैं।-
समझ नहीं आता लोग इतनी जल्दी बदल कैसे जाते हैं।
यादों में रह जाते हैं जो,ज़िन्दगी से निकल कैसे जाते हैं।
हमने आसमान की तरफ क्या देखा होने लगीं साजिशें,
सोचा कुछ परिन्दे इतनी ऊँचाई तक उड़ कैसे जाते हैं।
एक तूफान आया था हिला कर ही रख दी पूरी नींव,
ये रेत पर बनाए गए कुछ महल सँभल कैसे जाते हैं।
कोई अपना होकर फिर हो गया किसी और का,यार...
कोई नहीं माँगता फिर भी लोग उन्हें मिल कैसे जाते हैं।
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मेरी ज़िंदगी मुझे कुछ इस तरह भाने लगी।
मंजिल मिली मुझे मेरी राह नज़र आने लगी।
तुम्हारी परवाह में हम भूल ही गए थे खुद को,
तुम गए तो मेरी ज़िन्दगी फिर मुस्कुराने लगी।-