प्रेम
अभी बकाया कई घूँटों में
जो रुह में है !
तुम दुनिया को देखो, सुनो, दौड़ो
उसके लिए
मेरी आँखों में भले ही न देखो!
क्योंकि संदेह की कोई परिभाषा
प्रेम भाषा में नही लिखी जाती है!
•भारद्वाज दिलीप
-
"दुःख
अगर पन्नों पर लिखे जाते
तो तय है, गुलाब
कभी नही सूखते पन्नों के बीच! "
-
तुम ठीक हो ना
___________
याद है तुम्हें
जब उस दिन तुम नहीं थे
मेरे पास बैठे
आती शाम में धीरे से
बहती हवा के साथ।
क्या ..कह रहा था तब मैं,
हां याद आया
'तुम ठीक हो'
शायद वो सुना नहीं था तब तुमने
सच कहूं तो मैं नहीं जान पाया था
तुम से बात करते-करते
तुम कैसी हो?
तुमने तो वो सुना ही नहीं।
पर मैं जब जान पाया
तुमने देर रात फ़ोन कर मुझे कहा था उस दिन।
"क्या कह रहे थे, तुम वो दोबारा कहो"
उस रात के बाद मैंने तय किया हमेशा के लिऐ
कहना कि "तुम ठीक हो"
तुम ठीक हो ना ?-
आम तौर पर जब हम जब थक कर
चूर होकर रुकना चाहते हैं
तो यह कोई पर्याप्त कारण नहीं है कि हम थके हुए हैं
दिन है,साल हैऔर कैसे गुजरते हैं
जैसे चुटकी बजाई और पल गुज़रा या साल
मेरे जैसे व्यक्तियों पर बहुत ज्यादा काम तो हैं नहीं,ऐसा मान लेना ही है और होगा भी
हम सबसे खुबसूरत है,और जीते रहेंगे
यूं तो गर्म हवा आएंगी पर उससे पहले वसंत दस्तक दे रहा है प्रेम लेकर।
खैर....तीन मंदिर में जाकर आया आज.
कई साल से नहीं गया ना व्रत भी है आज
ईश्वर को धन्यवाद करना था एक मंदिर में बहुत देर बैठा। वहां बहुत देर तक बातें की।
आज कोई सवाल नही किया
ना कुछ मांगने की हिम्मत हुईं।
क्यों मैं हर सवाल का उत्तर जानना चाहूं।
समाचार दिए हैं बस उनमे भी कोई शिकायत का भाव नहीं था। जो गुज़र गया समय वो गया
बस आगे के लिए हाथ जोड़ दिया।
खुशियां बढाता रह बस....और मेरी कोशिश है
बांटते रहुं इन्हें जितना बंट जाए।
मां याद आई कहती थी ....
"'मिल बांट कर खाएंगो तो वैकुंठ को जाएंगो,
और सब के लिए मांगेगों अपनो पेट भर जाएंगो।"-
चुप्पियां
जैसे प्रेम सबसे बड़ा गुनाह हो
क्यों लगता है ?
प्रेम हो जाना अपराध है
प्रेम गर अंदर जीवित है तो
घुट रहा है क्यों
जैसे उसकी सांसें घोंट दी हो।
फिर जब प्रेम को
बेगुनाह साबित करने का प्रयास होता है
उसे सांत्वना देने बैठते हैं
तो आप रोने लगते हैं
उसके साथ फूट फूटकर।-