खुद की सुध बुध न रही, ना रहा मन को चैन,
हे गिरधारी नाथ हमारे, आ बसो मोरे नैन!
चंचल चमके चांदनी चंदा, हृदय बसो प्रभु मोर
आवो ले जाओ मन पतंगा, मोरे चितवन चोर!
एक हाथ लिए प्रभो बांसुरी, मुकुट मोर लगे चांद,
मुख पर लागे माखन जैसे, पंकज पर ओस प्रभात!
कल कल करता नदी समाना, अश्रु का बहता धार
हे नाथ हे मोहन प्यारे, करा दो भव सागर तुम पार!
भक्त की भक्ति नाथ प्रभो, करो दीन पर उपकार,
नाथ प्रभो तुम नैन बसों, करो जीवन का उद्धार!
अगला जन्म जब पाऊं मोहन, भक्त बनूं मै तोर,
हे नाथ , गिरधारी मोरे, विनती करूं कर जोड़!
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