कभी लतीफे..
कभी बस लिफाफे...
उसकी आँखें..
कभी हमें देखें..
तो क़िस्मत आजमाते...
वो पूरा कहते..
तो लफ्ज़ समेटे..
लिखते ये किताबें...✍️-
18 NOV 2022 AT 16:16
26 MAY 2023 AT 1:28
लाख दबाई जो नब्ज़ आख़िर धड़की बराबर
आग-ए-मोहब्बत सीने में आख़िर भड़की बराबर
रूप-ओ-ज़ुल्फ़-ओ-गुफ़्तगू-ओ-गुमाँ-ए-तिल,
मेरी काव्यों में मुझको काव्या झलकी सरासर!-