मन की व्यथा अनसुलझी पहेली है।
मौन की थाह गहरी तलहटी है।
बेमौसम गमों की झड़ी है।
अनकही बातों की लड़ी है।
लिपटी एक दूजे में उलझी डोरी है।
कुल मिलाकर छोटे से मन पर भारी है।।-
2 MAR 2022 AT 14:06
मन की व्यथा अनसुलझी पहेली है।
मौन की थाह गहरी तलहटी है।
बेमौसम गमों की झड़ी है।
अनकही बातों की लड़ी है।
लिपटी एक दूजे में उलझी डोरी है।
कुल मिलाकर छोटे से मन पर भारी है।।-