पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिका का साझा स्वरूप~~~~
अर्धनारीश्वर रूप में सिर्फ दो ही रूप देखने मिलते हैं
एक भगवान श्री महादेव शंकर का, शिव का शिवा के साथ,
और दूसरा भगवान श्री कृष्ण का राधा के साथ।
एक में पति और पत्नी का स्वरूप है और
एक में प्रेमी और प्रेमिका का रूप है।
लेकिन पति-पत्नी का रूप एक अलग तरह का है,
जहां पत्नी पति की शक्ति के रूप में साथ में है,
भगवान शिव का जो भी कार्य है,
चाहे वो सृजन हो या संहार का हो,
उनकी पत्नी शिवा, शक्ति हमेशा उनके साथ है।
लेकिन प्रेमिका के रूप में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा
उनकी प्रेमिका, प्रेयसी के रूप में है,
इसलिए वहां शक्ति का नहीं,
बल्कि प्रेम का भाव है।
प्रेम शक्ति से परे समर्पण का भाव होता है,
जहां शक्ति का अंश नहीं रहता।
इसका अर्थ यह नहीं कि
पति पत्नी के संबंध में समर्पण नहीं होता,
लेकिन फिर भी पति पत्नी का और
प्रेमी प्रेमिका का स्वरूप
एकदूजे में समाहित होते हुए भी भिन्न होता है।
यह तो सिर्फ एक भाव की बात है,
आपसी संबंधों के चरम रुप की छवि है,
जो अन्य रिश्तो में कहीं भी परिलक्षित नहीं है,
यही सनातन की स्वीकृति है,
जो अन्यत्र कदाचित मान्य भी नहीं।। पुरुषोत्तम चौधरी-
2 MAR 2022 AT 13:10