क्या याद रखूं और क्या भूल जाऊं,
तेरी मुलाकात का वो हिस्सा,
जो अब तक भी भूल नहीं पाता हूं।
वो पक्षियों का कलरव ,
फूलों की वो बिखरी मधुर महक,
दूर कहीं बजता वो लोकगीत,
वह दिलों में लहराता मिलन का संगीत,
कभी जाते हुए दिन और
आती हुई रात को मिलाती रंगीन ढलती शाम,
रात की चांदनी का कभी मधुर सहलाता स्पर्श,
और वो अपने मिलन का चरम,
कैसे भूलूं ,ये सभी कुछ,
और ये भी नहीं भूल सकता कि
तुम अब साथ नहीं।।-
23 DEC 2021 AT 16:42