कुछ मिलते हैं,
पर पहचानते नहीं।
कुछ पहचानते तो हैं,
मगर मिलते ही नहीं।
इतनी ही है रिश्तो की गहमागहमी,
कि अपने कहीं दिखते ही नहीं।।-
16 DEC 2021 AT 10:55
कुछ मिलते हैं,
पर पहचानते नहीं।
कुछ पहचानते तो हैं,
मगर मिलते ही नहीं।
इतनी ही है रिश्तो की गहमागहमी,
कि अपने कहीं दिखते ही नहीं।।-