तुम रंगोली हो मन की,
तरंग से भरपूर हो।
तुम अल्पना हो मन की,
कल्पना से परिपूर हो।
तुम तस्वीर हो मन की,
भावना से सराबोर हो।
तुम झांकी हो मन्मय साकार रूप की,
भावों का रंगीन आकार हो।
तुम शानबान हो घर द्वार की,
स्वर्गमय साज श्रृंगार हो।
तुम सजल सजीव आभा हो आंख की,
हृदय का सरल स्वरुप हरश्रृंगार हो।।
तुम छवि हो तनमन के गगन की,
जीने का मधुरपूर्ण, पूर्ण आधार हो।।-
6 NOV 2021 AT 10:42
14 JUN AT 12:46
वह इतनी खूबसूरत है
क्योंकि वह अपनी मुस्कान से
हर दिन को एक बेहतरीन कृति बना देती है,
एकमात्र स्थायी सुंदरता दिल की सुंदरता है,
अगर आपके दिल में रोशनी है,
तो आप अपने घर का रास्ता खोज लेंगे,
आप जो भी प्यार करते हैं, आप वही हैं,
मैं जो करता हूँ ख़ुद के लिए
और जो आप करते हैं आप के लिए,
मगर इसी तरह तो राह बनती है,
जिस पर अनगिनत लोग चलकर
एक रास्ता बना देते हैं,
दीपक अलग-अलग हैं,
लेकिन रोशनी तो एक ही है।-