तुम रहती हो, तो सब सरल रहता है
ये टूटा हुआ मकां भी महल रहता है
चलती हो तो ये चाँद साथ चलता है
हर इक सितारा भी ग़ज़ल कहता है
निकला ना करो, यूँ सज-संवर कर
तेरे नूर से सूरज को ख़लल रहता है
कहता हूँ तुमको मल्लिका-ए-जहाँ
तो ये जहाँ मुझको पागल कहता है
छुआ था जो तूने, इक रोज़ मुझको
असर इत्र सा, साथ हर पल रहता है
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