QUOTES ON #100SISKIYAAN_SUHASK247

#100siskiyaan_suhask247 quotes

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7 DEC 2021 AT 20:59

हर दर समंदर।

एक समंदर मेरा भी हैं हर गम से भरा,
वह किनारे बैठा हैं इसे थम करने जरा।

करता रहता मैं शोर और पानी हैं मेरा खारा,
उसके एक बूँद आँसू में मेरा गम समाया सारा।

रोज आकर बातें करता फिर चला जाता,
कहता हैं कल फिर मिलेंगे बाते करने आता।

मैं देखता उन्हें दूर से ना समझा कैसी यह डोर,
अगर हैं यहीं शुरुवात तो मुलाकात ही होगा छोर।

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13 DEC 2021 AT 17:20

जूठा और झूठा।

भूली यह राहें और फूली हैं साँसे मेरी,
खुली आँखें सिर्फ़ सूरत तलाशें तेरी।

उस दिन पहली बार तुझमें देखा हैं संसार,
नज़र ना हटी तुमसे बस ताकते रहें लगातार।

दहलीज उनकी भी की पार, साथ हमारा प्यार,
तुम करो शुक्रिया उनका, मैं करता तेरा दीदार।

चाँद कहता झूठा मुझे, रहता हर रात हैं रूठा,
दिल हमारा जूठा अब-तक, वह दिन नहीं हैं छूटा।

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6 DEC 2021 AT 14:15

मना किया और मना लिया।

हैं वजह यह दूरियां, जो कम नहीं होती कभी,
जानलेवा फासला और नम हँसी होती सभी।

तुम एक सहेली सी पहेली, जिंदगानी हो मेरी,
मैं इम्तहान, इत्मीनान और मोहब्बत हूँ तेरी।

टटोला उसका मन ना कभी, और ना उसने दिखाया,
रोते-रोते मुस्कुराने का मुश्किल हुन्नर हमे सिखाया।

तू रूठती नहीं मुझसे कभी और ना कभी हैं टूटती,
हैं ढूंढती मेरी हँसी और मुझसे तेरी हथेली ना छूटती।

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11 DEC 2021 AT 19:23

याद और फरियाद।

हर लफ्ज़ वह, तारीफ़ मैं, वह पूरा दिन, तारीख मैं,
गर कश्ती वह, साहिल हूँ मैं, हैं दर्द वह, हर चीख मैं।

जाते नहीं हर याद से रहते हो अब फरियाद में,
तू ही मेरी हर शायरी, तुमसे शुरू इरशाद मैं।

एक फ़ूल सा हूँ मैं कहीं, जो धूल में लिपटा हुआ,
उन ख़्वाबों के सहारे ज़िंदा, मैं यहाँ सिमटा हुआ।

वह चाहतों का सिलसिला, जो चाहकर भी ना मिला,
ऐसे मिला, जैसे खिला, हर ज़ख्म उसने मेरा सिला।

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20 NOV 2021 AT 19:29

हम, सफ़र और हमसफ़र।

अब पास तो नहीं हैं हम मगर साथ तो हैं हर वक्त,
कभी हाथ उनका थामकर, नाम की हैं यह सोहबत।

मुलाकात की उस घड़ी में जो पहर हसीन हैं बीते,
अब निगाहे खुली रहे या हो बंद, हम उसी सफ़र में जीते।

हर हवाँ के झोंकों से पूछा हमसफ़र का पता,
के तू नहीं तो तू सहीं, हैं जानता तो दे बता।

वह राह मेरी देखती, पर राह में संग हैं रहीं,
मंज़िल सफ़र की हैं वहीं और हमसफ़र भी हैं वहीं।

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25 NOV 2021 AT 20:51

तेरा मेरा अंधेरा।

हर आंसू के साथ बहाना घुटन का पिटारा,
गवाह हैं अंधेरा, टूटा कोई दिल हो या तारा।

जो देता उसे नई उम्मीदों का सहारा,
और गम मेरा भी पी ले सारा का सारा।

कुछ तेरा हुआ और कुछ मेरा,
इस झूठी रोशनी में सच्चा अंधेरा।

दिल की यही तिश्नगी की मिले साथ तेरा,
तू बन जा जिन्दगानी फिर ना हो अंधेरा।

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17 DEC 2021 AT 21:36

ज़हर और कहर।

मैं ज़हर खरीदता फिरता, ना कहर की परवाह करता,
हैं सहर सारे शहर मगर, मैं अकेला ही बेवजह मरता।

इस पत्थर दिल को लेकर, गुज़रा हूँ मैं हर महफ़िल,
इक नज़र उसको देखकर, रूबरू हुआ सर-ए-मंज़िल।

मेरी कशमकश ही यह झिझक, खुशनुमा सी चाह हैं,
तेरी दिलकश सी इक झलक, इस ज़िन्दगी की राह हैं।

जल रहा, यह दिल मेरा, मैंने बताया कुछ भी नहीं,
चूमा मुझे, उसने वहीं, फिर बिछड़े हम कभी नहीं।

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17 JAN 2022 AT 21:26

हर बात जज़्बात।

मिट नहीं पाती हैं यादें, इतनी आसानी से कभी,
लिखकर जमाना हो गया, लगती मिटाई हो अभी।

दिल हर घड़ी और हर समय बस ताकता रहता तुझे,
बहती आँखें, कहती मुझे, गलती दिल करे, सज़ा मुझे।

गया सीख मैं हर सीख को, इश्क इम्तिहान लेगा क्या?
इम्तिहान सफ़ल होगा तो, शाबाशी तू भी देगा क्या?

तू रात मुझमें बीतकर, बनती नई फिर एक सुबह,
मैं उस सवेरे संग तेरे, मौजूद रहता हर एक जगह।

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30 NOV 2021 AT 16:28

हर बार इंतज़ार।
हां, कल हमने उन्हें बुलाया नहीं,
ना, इसका मतलब उन्हें भुलाया नहीं।

मेरे श्याम राधा मैं तेरी, कोई गोपी नहीं,
दूर हमसे रहने की अनुमति तुम्हें सौंपी नहीं।

राधे मैं कहता कभी नहीं, तुमसे दूरी हैं इक मर्ज,
तुमसे दूर रहना इस श्याम का सबसे बड़ा हर्ज।

हर समय करता हैं वह मेरा इंतज़ार,
अब, तब, जब, कब हो जाये इकरार।

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23 NOV 2021 AT 19:33

उस रात की बात।

चार पहर की दास्ताँ अनकही ही रह गई,
मैं और तुम से शुरू, हम बनकर ख़तम हुई।

शाम से आधी रात तक, मोहब्बत का किस्सा,
रूह में आज तलक शामिल एक हिस्सा।

रात सो चुकी थी, जाग रहे थे हम,
आज भी वह सनम हैं मेरा हमदम।

वह बातों का सिलसिला नहीं हैं ठहरा,
आज तक ना हुआ हैं उस रात का सवेरा।

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