QUOTES ON #रोशननामा

#रोशननामा quotes

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मैं गांठ हृदय की खोलूँ क्या,
कंधे पर सिर रख रोलूँ क्या ।

तुम आँखों से सब पढ़ लो ना,
मैं मुँह से आखिर बोलूँ क्या ।

ये इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा,
तुम छोड़ चले मैं ढो लूँ क्या ।

कुछ दूर अभी अंधियारा है,
मैं साथ तुम्हारे हो लूँ क्या ।

कई रंग उभर के आयेंगे
आंखों में सपने घोलूँ क्या ।

शायद वापस आये बचपन,
माँ की गोदी में सो लूँ क्या ।

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जो होना है उसे हर हाल में होना ही होना है ।
भले आँसू बहाऊँ मैं , भले सैलाब ला दो तुम ।।

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चाँदनी हर तरफ छिटकी है मगर,
चाँद मेरा है सिर्फ मेरा है ।।

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ले पाणिपल्लव हाथ में विधिवत विविध विधि रीति से ।
आऊँगा लेने प्रियतमा मैं धर्म पूर्वक नीति से ।।

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यही उम्मीद थी एक दिन हमें समझेगी ये दुनियाँ ।
इसी उम्मीद में हमने कभी खुद को नहीं समझा ।।

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मोर मुकुट अधरों पर वंशी
कमल नयन मटकाते हो,
देख देख राधा की छवि को
मन्द मन्द मुस्काते हो ।।

गाय चराने जाते वन में,
भोलापन दर्शाते हो ।
चोरी चोरी घर मे घुस के
माखन भोग लगाते हो ।।

बहुत बड़े तुम छलिया हो
ये कोई समझ न पाता है।
यशुमति मैया जब पकड़ें तो
झूठे नीर बहाते हो ।।

कभी किसी के हाथ न आते
लीला खूब दिखाते हो ।
चीर चुराते रास रचाते,
माधवेन्द्र कहलाते हो ।।

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नदी में पांव डाल रख्खा है
हमने खुद को सम्हाल रख्खा है ।।

तेरे आने की खुशी में मैंने,
जिस्म से दिल निकाल रख्खा है ।।

वो जो तूने छुवा था होली में
रुख़ प' अबतक गुलाल रख्खा है ।।

पूरी दुनिया से पूछता था जो
खुद से वो ही सवाल रख्खा है ।।

आंख में किसको ढूंढते हो तुम
गम को सीने में पाल रख्खा है ।।

इस जमाने मे संस्कृत पढ़कर
माँ का आँचल सम्हाल रख्खा है ।।

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गम-ए-बरसात के आसार हुआ करते थे,
हम भी इस मर्ज़ के बीमार हुआ करते थे ।।

दौर-ए-उल्फ़त ने कहीं का नहीं छोड़ा वरना,
हम कभी साहिब-ए-क़िरदार हुआ करते थे ।।

वो एक दौर जब हर्फ़ों के हुश्न थें कायम,
हम उसी दौर में अश'आर हुआ करते थे ।।

रश्क़ करते थे कई लोग मेरी ग़ुरबत से,
मुफ़लिसी में भी हम सरदार हुआ करते थे ।।

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दौर-ए-उल्फ़त ने कहीं का नहीं छोड़ा वरना,
हम कभी साहिब-ए-क़िरदार हुआ करते थें ।।

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हाँ चातक को सुनहली धूप में भी आस दिखता है,
जो धड़कन में उतर जाए हमेशा खास दिखता है ।।

मेरी इस व्यस्तता में प्यार की तफ़्तीश ना करना,
कि दिलबर से कहीं ज्यादा हमे अवकाश दिखता है ।।

हमारी पीढ़ियों को अब नजर का हो रहा धोखा,
कि जो मेकअप से लतफ़थ है वही झक्कास दिखता है।।

कि पैदा होते ही बच्ची कही रो कर के ये माँ से,
मुझे कपड़ो को पहनाओ वहस एहसास दिखता है ।।

की उम्रें बीत जाती है बुढ़ापे के नदामत में
किसी का आस दिखता है किसी का काश दिखता है।।

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