आज की रात कुछ कह रही हैं, उसकी जवानी अपनी चरम पर हैं
लगी जो आग बदन में दहक रहे शोले...
ऊपर नीचे कर रहे छतियाँ के दो बड़े गोले..
कह रही जवानी.. हाथों से दबावों, सहलाओ, मसल दो
और चुचियोंको को चूसो,भड़का दो और शोले..
फेरते रहो हाथों की उंगलियों को सारे तपते बदन पर..
नितंबों को, नर्म मुलायम जांघों को करो और तूफानी..
इतना कि, फनफनाती बुर का निकलने लगे चिकना पानी..
मिल जाने दो अब तुम्हारे लंड का भी वैसाही चिकना पानी..
देर ना करो अब जानां, डालो ना अंदर बुर को फाड़ के
अपना खड़ा हुआ लंड..करते रहो अंदर बाहर..
होश मेरे खोने दो, खाली कर दो अपना सारा मेरे अंदर..
एक बार से दिल नहीं भरता.. जितना चाहो भरते जाओ मेरे अंदर..
मैं हूँ तुम्हारे लिये हुस्नपरी, बुझा दो इश्क़ की अंगार।।।
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7 JUL 2019 AT 14:14
12 JUN 2020 AT 6:55
बुरा मैं नहीं मुझमे बुराई है,
लड़की अपनी बुर लेकर मिलने आई है...!-