आज "कोरोना" ने दस्तक दी तो, इन्हें नमस्ते की याद आई हैं
जीवो को खाने वालों को शाकाहारी भोजन की याद आई हैं
सनातन की अवहेलना करने वालों को भगाओ यहाँ से, इन्हें
प्रकृति के सौंदर्य को खाकर भारतीय संस्कृति कि याद आई है-
खुदा को जाने कितना नाज होता
गर तू मेरी जिंदगी का साज होता
अब रूह वाली मोहब्बत है तुमसे
छुप जाता अगर कोई राज होता
कैसे अपने करीब लाऊँ तुझको
तुझे मना लेता अगर नाराज होता
तुझको लिख लेता अपने शब्दो में
अगर तू लहजे की आवाज होता
और मैं लड़ जाता इस दुनिया से
तू कोई जंग का आगाज होता
तू भी ऊंची उड़ान का परिंदा है
तुझे चुरा लेता अगर बाज होता
कपिल अब मैं काश कहता हूँ
तू मेरा कल होता आज होता-
मैं आज फिर तन्हा अकेला हूँ
खुशियां मेरे दामन मैं टिकती नहीं
हर शख्स को चाहा, ऐसी क्या चीज है
जो लोगों को मेरे पास मिलती नहीं
पास गमों की किताबों का एक मेला हैं
एक भी रद्दी के भाव भी बिकती नहीं
मेरी इतनी मन्नतें करने के बाद भी
मंजिल कि एक झलक दिखती नहीं
"कपिल" क्यूँ बेसहारा महसूस करता हैं
ये दुनियादारी हैं अपनी आदत बदलती नहीं-
मैं एक अरसे से तलाश रहा हूँ अपने आप को
तेरा साया क्या हटा लोगों ने आवारा समझ लिया-
मेरे जहन में पुष्पित पल्लवित होती
तेरी यादों की संस्कृति में आज
तुम्हारे बोए विरह के बीज
अब कांटे बनकर उभरे हैं
जो मन की खिड़कियों को तोड़कर
खूबसूरत मगर बन्द दरवाजे बनने जा रहे है..
जिनमें कैद रहेगा हमारा पवित्र प्रेम
जो पुनर्जन्म के बाद ही खुलेंगे
तेरी मेरी छुअन से..-
कभी अहसास कभी ख्वाहिशें
तो कभी सपनों को लिखता हूँ
और जब टूट जाता हूँ अंदर से तो
बिछड़े हुए अपनों को लिखता हूँ-
आंसुओं के सैलाब में फँसते रह जाएंगे
ये विरह के नाग मुझे डसते रह जाएंगे
हमारी जुदाई बड़ा खोंपनाक मंजर होगा
तालियों के बीच हम हँसते रह जाएंगे
वो बाज है बादलों को चीर कर जायेगी
और हम जमीं पर बरसते रह जाएंगे
वो एक दिन मेरी रूह छोड़कर जाएगी
सब देखना हम बेबस तरसते रह जाएंगे
कविता जल जाएंगी कलम टूट जाएगी
उधड़े और बेजान पड़े बस्ते रह जाएंगे
यार एक दिन उसकी खुशियों के सामने
मेरे दर्द और आँसु बहुत सस्ते रह जाएगें
कपिल मस्तियाँ ये भोलापन छूट जाएगा
बस उसकी यादों के गुलदस्ते रह जाएंगे-
बहुत बेचैन रहता है सनम तुम्हारा
ये होठं जैसे खिलता चमन तुम्हारा
लिपस्टिक की शेड कतई जानलेवा
ये गुलाबों सा नाज़ुक बदन तुम्हारा-
बातों से लगता है वो भुलाकर जाएगी
ना सोने वाली नींद में सुलाकर जाएगी
सारा जमाना देखेगा तमाशबीन बनकर
एक दिन वो मुझको छोड़कर जाएगी
वो बिना श्रृंगार के कितनी खूबसूरत है
लेकिन फिर भी वो संवर कर जाएगी
मेरी रूह के जर्रे जर्रे से इश्क टपकेगा
जब वो लाल चुनरिया ओढ़कर जाएगी
आज सब कुछ जानती है मेरे बारे में
लेकिन फिर भी मुँह मोड़कर जाएगी
यार बहुत मुस्कुराती है बात बात पर
देखना सारे रिश्तों को तोड़कर जाएगी
कपिल चाहकर भी कुछ कर नहीं सकता
वो तुझसे हीर के जैसे बिछड़कर जाएगी-