मन्दिर मस्जिद में जिसे रुष्ट पाता
फ़िर वो हर जगह कैसे मिल जाता
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16 MAY 2018 AT 7:16
एक दरिया मैने भी
मन मे छिपा रखा है
दिखता नही पर अक्सर
वो फुट पड़ता है मेरे
सुख दुख में!!-
8 MAY 2018 AT 17:42
ग़र ज़मी ज़िन्दा है तो
क्या आसमान मरा है
या
ग़र आसमान ख़ाली है
फ़िर ज़मी में क्या भरा है-
14 MAY 2018 AT 8:40
गुड़ की गुदगुदी भी तो
मिठास तक ले जाती है
फ़िर सांसे क्यों अपना हिसाब
हर सांस के बाद वापस ले जाती है!!-
8 JUN 2018 AT 6:17
मंजिल को तू अपनी उफ़्ताद न समझ "अदम्य"
सफ़र में सूरज कोे भी अंधेरों से गुजरना पड़ता हैं-
25 MAY 2018 AT 8:20
उजाले की ही आड़ लिये में अंधेरा खंगालते चलता हु
अंधेरो से निजात पाने में उजाला साथ लिये चलता हु-