उसके सुन्दरता कि यदि कभी परिभाषा लिखी जाएगी,
तो उसके माथे की छोटी काली सी बिंदिया उस परिभाषा का पूर्ण विराम होगी।-
समन्दर तब तक समन्दर रहता है जब तक आप उसे किनारे से बैठ कर देखते रहते हैं
परन्तु जैसे ही आप समन्दर में उतर जाते हैं आप स्वयं
समनदर हो जाते हैं
बिल्कुल प्रेम जैसा
किसी को समझना केवल यह जान लेना नहीं होता कि उसका भौतिक स्वरूप कैसा है
किसी को जान लेना तब संभव हो पाता है जब आप प्रेम रुपी नैया में बैठकर उसके भीतर के समनदर में उतर जाते।-
समन्दर तब तक समन्दर रहता है जब तक आप उसे किनारे से बैठ कर देखते रहते हैं
परन्तु जैसे ही आप समन्दर में उतर जाते हैं आप स्वयं
समनदर हो जाते हैं
बिल्कुल प्रेम जैसा
किसी को समझना केवल यह जान लेना नहीं होता कि उसका भौतिक स्वरूप कैसा है
किसी को जान लेना तब संभव हो पाता है जब आप प्रेम रुपी नैया में बैठकर उसके भीतर के समनदर में उतर नहीं जाते।-
समन्दर तब तक समन्दर रहता है जब तक आप उसे किनारे से बैठ कर देखते रहते हैं
परन्तु जैसे ही आप समन्दर में उतर जाते हैं आप स्वयं
समनदर हो जाते हैं
बिल्कुल प्रेम जैसा
किसी को समझना केवल यह जान लेना नहीं होता कि उसका भौतिक स्वरूप कैसा है
किसी को जान लेना तब संभव हो पाता है जब आप प्रेम रुपी नैया में बैठकर उसके भीतर के समनदर में उतर नहीं जाते।-
मित्रता घर और मन की चौखट के भीतर तक नहीं
घुसनी चाहिए
अन्यथा आप एक खिलौने की भांति खेले जाएगें।-
ये कैसा इश्क रहा खुदा, कि जब पास थे तो
एहसास नहीं रहा और जब दूर हुए तो ये दर्द सताने लगा कि, जाने वो अब कैसे होगें
दूर हुए तो टूट से गये खुद से रूठ से गये। वो-
जहाँ तलाश पूरी हुई वो अपना ना हो सका
और जो अपना हो रहा है उसमें तलाश पूरी नहीं होती — % &-
गर जिस्म की नुमाइश पर टिप्पणी करना एक गुनाह है
तो जिस्म देखकर सहुलियत देना गुनाह क्यों नहीं
नग्नता केवल निर्वस्त्र होना नहीं होता ये समझ लिजिए
एक नकाब मन की आंखों के लिए अब तक क्यों नहीं
— % &-
अपनो का खो जाना जैसे किसी प्रिय वस्तु का खो जाना
परन्तु प्रिय वस्तुओं का विकल्प मौजूद है परन्तु अपनो का नहीं
यादें उन्हें जिंदा रखती है। — % &-
जैसे जैसे दर्द ए इश्क का शूल घुसता है सीने में
वैसे-वैसे अश्क बहते हैं आंखों से — % &-