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jo dil me hai wo zuban pe hai..
Joined 7 January 2018


jo dil me hai wo zuban pe hai..
Joined 7 January 2018
25 MAY 2022 AT 20:03

उसके सुन्दरता कि यदि कभी परिभाषा लिखी जाएगी,
तो उसके माथे की छोटी काली सी बिंदिया उस परिभाषा का पूर्ण विराम होगी।

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25 MAY 2022 AT 19:16

समन्दर तब तक समन्दर रहता है जब तक आप उसे किनारे से बैठ कर देखते रहते हैं
परन्तु जैसे ही आप समन्दर में उतर जाते हैं आप स्वयं
समनदर हो जाते हैं
बिल्कुल प्रेम जैसा
किसी को समझना केवल यह जान लेना नहीं होता कि उसका भौतिक स्वरूप कैसा है
किसी को जान लेना तब संभव हो पाता है जब आप प्रेम रुपी नैया में बैठकर उसके भीतर के समनदर में उतर जाते।

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25 MAY 2022 AT 19:15

समन्दर तब तक समन्दर रहता है जब तक आप उसे किनारे से बैठ कर देखते रहते हैं
परन्तु जैसे ही आप समन्दर में उतर जाते हैं आप स्वयं
समनदर हो जाते हैं
बिल्कुल प्रेम जैसा
किसी को समझना केवल यह जान लेना नहीं होता कि उसका भौतिक स्वरूप कैसा है
किसी को जान लेना तब संभव हो पाता है जब आप प्रेम रुपी नैया में बैठकर उसके भीतर के समनदर में उतर नहीं जाते।

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25 MAY 2022 AT 19:13

समन्दर तब तक समन्दर रहता है जब तक आप उसे किनारे से बैठ कर देखते रहते हैं
परन्तु जैसे ही आप समन्दर में उतर जाते हैं आप स्वयं
समनदर हो जाते हैं
बिल्कुल प्रेम जैसा
किसी को समझना केवल यह जान लेना नहीं होता कि उसका भौतिक स्वरूप कैसा है
किसी को जान लेना तब संभव हो पाता है जब आप प्रेम रुपी नैया में बैठकर उसके भीतर के समनदर में उतर नहीं जाते।

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17 MAR 2022 AT 8:13

मित्रता घर और मन की चौखट के भीतर तक नहीं

घुसनी चाहिए

अन्यथा आप एक खिलौने की भांति खेले जाएगें।

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10 MAR 2022 AT 22:48

ये कैसा इश्क रहा खुदा, कि जब पास थे तो

एहसास नहीं रहा और जब दूर हुए तो ये दर्द सताने लगा कि, जाने वो अब कैसे होगें

दूर हुए तो टूट से गये खुद से रूठ से गये। वो

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10 MAR 2022 AT 22:37

जहाँ तलाश पूरी हुई वो अपना ना हो सका

और जो अपना हो रहा है उसमें तलाश पूरी नहीं होती — % &

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5 MAR 2022 AT 3:30

गर जिस्म की नुमाइश पर टिप्पणी करना एक गुनाह है

तो जिस्म देखकर सहुलियत देना गुनाह क्यों नहीं

नग्नता केवल निर्वस्त्र होना नहीं होता ये समझ लिजिए

एक नकाब मन की आंखों के लिए अब तक क्यों नहीं

— % &

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1 MAR 2022 AT 8:38

अपनो का खो जाना जैसे किसी प्रिय वस्तु का खो जाना
परन्तु प्रिय वस्तुओं का विकल्प मौजूद है परन्तु अपनो का नहीं
यादें उन्हें जिंदा रखती है। — % &

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20 FEB 2022 AT 20:03

जैसे जैसे दर्द ए इश्क का शूल घुसता है सीने में

वैसे-वैसे अश्क बहते हैं आंखों से — % &

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