ऐसी बात नहीं है की... सच और झूठ की परख नहीं है हमे । इस दुनिया को समझते हैं... इसीलिए तो चुप है हम । बातें हमारी आपके समझ से परे है... इसीलिए तो चुप है हम ।
सच कहूँ तो... ये हर एक रिश्ता...मतलबी दुनिया का ही हिस्सा है। कभी झूठ से भरी कहानियाँ...सच के भाती लिखते हैं। और कभी सच को छूपाने में...बेमतलब कहानियाँ बतलाते है।