शिकायतें अपनी जगह है
मगर उसको सुन कर
महसूस करने का
एहसास अपनी जगह है-
मैं भी बहुत अजीब हूँ ....
की इतनी अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया
और मलाल भी नहीं
(जॉन एलिया)
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क्या कहेगा कभी मिलने भी अगर आएगा वो
अब वफादारी की कसमें तो नहीं खाएगा वो
हम समझते थे ,के हम उसको भुला सकते थे
वो समझता था हमें भूल नहीं पाएगा वो
कितना सोचा था
पर इतना भी तो नहीं सोचा था
याद तो आएगा वो
और याद बन जाएगा वो
ख्वाब में न आ कर मेरे
बस एक ख्वाब नज़र आएगा वो
सबके होते हुए एक रोज़ वो तन्हा होगा
फिर शायद वो ढूंढेगा ,और नहीं पाएगा वो
इत्तेफाकन जो कभी सामने आया अजमल
अब वो तन्हा तो न होगा ,जो ठहर जाएगा वो।
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मुझे शक था मेरी पसंदीदा चीज़ मुझे नहीं मिलती
मगर अब यकीन हो गया
मेरी पसंदीदा चीज़ या
तो तब्दील हो जानी है
या फिर मुझसे छिन जानी है।-
बता इससे ज्याद तुझसे क्या कहती
करीब आते हो तो उम्मीदें बढ़ जाती है
समझना चाहते तो गले लगा लेते
जो तुझे ठीक लगा तूने जरूरी समझा
अनजान बन कर मुझपे रखना सब जरूरी समझा
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सही लिखा है किसी ने...
तुम जैसे हो वैसे ही रहो
तुमको बदलना नहीं चाहती मैं कभी
मगर चाहती हूं तुम खुद बदलो मेरे लिए
रोकना नहीं चाहती आगे बढ़ने से
मगर चाहती हूं -आगे बढ़ो अगर
तो मुझे साथ लेकर
नहीं चाहती लड़ो मेरे लिए
मगर चाहती हूं
ज़रूरत पड़ने पर साथ रहो मेरे
नहीं चाहती गले लगाओ मुझे मगर चाहती हूं
जब भी चाहूं पास रहो मेरे ।-
वो तो तुमने मजबूर कर दिया जुदाई की बात कहने पर वरना
मुझे तुम्हारे इंतेज़ार से भी बे इंतेहा मोहब्बत होती रही-