Ibadat for Muslims
एक छोटी गैर फ़र्ज इबादत अल्लाह के लिए कैप्शन में दी गई है.....
गुनाह का वर्गीकरण:
कुफ्र- अनचाहे झूठ ईश्वर के संबंध में बोलने वाला।
कुफ़री- ज्यादा झूठ ईश्वर के संबंध में बोलने वाला।
कुफ़्फ़र- ईश्वर और धर्म काम कर रहे हो बता कर अपनी जरुरत पूरी करने वाला।
काफ़िर- सोच समझ कर ईश्वर के संबंध में झूठ बोलने वाला, ईश्वर से बगावत करवाने वाला।
शिर्क: दुनिया की किसी भी जीवित और निर्जीव चीज़ को ईश्वर के बराबर या ईश्वर बताने वाली बात।-
Ujala
जवानी की रातें,
दिन से ज्यादा रोशन होती है।
जाओ कह दो,
उजालों में खुशियां ढूंढने वालों से।-
Tassavur
मुमकिन नहीं है के,
मुमकिन किया जाए।
ज़रा सी मोहब्बत हकीकत में,
ज़रा सी तसव्वुर में रखी जाए।-
Ishwar
अगर तुम ईश्वर से भी झूठ बोलगे,
अक्लमंदी दिखाओगे, दोहरी बात करोगे,
उसकी बेइज़्ज़ती करने के तरीकों में साथ दोगे,
तो फिर विश्वास के लिए बचेगा ही क्या।
तो हद से गुजर जाने वाले यह मान सकते हैं,
कि ईश्वर नहीं है।
क्योंकि वह सिर्फ शुद्धता के लिए ही उपलब्ध है,
भले ही तुम कितने ही बड़े गुनहगार हो।-
Mohammad
मक्का के मूर्ती पूजने वाले, यहूदी और ईसाई तीनों ने मिलकर इंसानों को गुलाम बनाने की, खरीद फरोख्त करने की जबर्दस्त प्रथा बना ली थी और लोगों को बेड़ियां डाल के रखते थे ताकि लोग डर के कारण मनमाना टैक्स दें, ब्याज दें, जुआ खेलें जिसमे लोग हमेशा हार जाते थे और इन सब कामों के लिए वो धर्म का इस्तेमाल करते थे और जो इसके खिलाफ होता था वो अधर्मी बना दिया जाता था।
तो मोहम्मद ने उनको मारा बेतहाशा मारा और धर्म का शुद्धिकरण कर इस्लाम बनाया।
मोहम्मद: ईश्वर से झूठ बोलना या ईश्वर पर झूठी बात बनाना आर्थिक फायदे के लिए, तालियों के लिए, जान बचाने के लिए कुफ्र है।-
Ethnic Roots
कब तक तुम्हे इंसानी जिस्म बचा पायेगा,
अगर तुम इसी तरह विचारों से मुर्गा बने रहोगे।
किसी वजह से मुर्गों ने नई भाषा नही
अपनाई, और इसी वज़ह से वह अपनी बात
न्यायलय में नही रख पाते हैं।
How long will you be protected by
the human body if you continue to have
thoughts like chicken?
For some reason, chickens don't
want to adopt a new language and
due to this reason, they are unable
to speak in the court.-
अंतः अस्थि प्रारंभ
विचारों के परमात्मा इंसान को मौत जता ही देती है
की इस दुनियां असली मालिक कौन है।
एक गहरा अंधेरा, और न ही तारों की रोशनी।
एक गहरी खामोशी, और न ही धड़कनों की आवाज।
एक गहरी रात, और न कोई पैदाइश।
एक गहरी नींद, और न कोई जीवन।
न कोई परिवर्तन, और न ही कोई समय।
फिर एक नई परिस्थिति, एक नई सुबह,
अनगिनत जिंदगियां और हिसाब किताब का दिन,
और रंग मंच के हर अच्छे बुरे नाटक का अंत।-
Effect of Israel in our country through capitalist and politicians
-
Rukhsat
हां जा सकती हो लेकिन बेवफ़ा न कहना मेरी मोहब्बत को, और न कोई इल्ज़ाम हो।
हम भी नही चाहते किसी रूह को कैद मे रखना, और न हमारी मोहब्बत बदनाम हो।-