ये प्रेम है या मोह,मैं नही जानती
तेरी तस्वीर को देख के मुस्कुराती रहती
ये प्रेम है या क्रोध,मैं नही जानती
तुम मनाओगे सोच के तुमसे रूठी रहती
ये प्रेम है या जिद,मैं नही जानती
केवल तुम्हारा सान्निध्य की आश रहती
ये प्रेम है या अहंकार,मैं नही जानती
सबके सामने तुम्हे अपना कहती रहती
ये प्रेम है या आशा,मैं नही जानती
बस तुम्हारे आने की प्रतीक्षा करती रहती
ये प्रेम है या पागलपन,मैं नही जानती
तुम्हारे अनूपस्तिती में तुमसे बात करती रहती
ये प्रेम है या मूर्खता,मैं नही जानती
तुम संग भविष्य की कामना करती रहती
ये प्रेम है या क्या है,मैं नही जानती
मैं तो प्रेम में होने की कल्पना करती रहती
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