Swetaparna Padhee   (Swetaparna Padhee)
233 Followers · 17 Following

Joined 27 March 2020


Joined 27 March 2020
3 JAN AT 22:07

खुद से सवाल करना चाहती हूँ
खुद से मैं मिलना चाहती हूँ
कौन हूँ क्या हूँ क्यू हूँ मैं
खुद को मैं समझना चाहती हूँ

-


21 MAR 2022 AT 17:44


ये प्रेम है या मोह,मैं नही जानती
तेरी तस्वीर को देख के मुस्कुराती रहती
ये प्रेम है या क्रोध,मैं नही जानती
तुम मनाओगे सोच के तुमसे रूठी रहती
ये प्रेम है या जिद,मैं नही जानती
केवल तुम्हारा सान्निध्य की आश रहती
ये प्रेम है या अहंकार,मैं नही जानती
सबके सामने तुम्हे अपना कहती रहती
ये प्रेम है या आशा,मैं नही जानती
बस तुम्हारे आने की प्रतीक्षा करती रहती
ये प्रेम है या पागलपन,मैं नही जानती
तुम्हारे अनूपस्तिती में तुमसे बात करती रहती
ये प्रेम है या मूर्खता,मैं नही जानती
तुम संग भविष्य की कामना करती रहती
ये प्रेम है या क्या है,मैं नही जानती
मैं तो प्रेम में होने की कल्पना करती रहती

-


21 MAR 2022 AT 9:05

सोते वक़्त अचानक आखों से कुछ आँसु टपक गये
एहसास हुआ की तुम्हारी कोई बात कह गये
क्या उस वक़्त तुम मुझे याद कर रहे थे
लगता है वो आँसु कुछ कहना चाहते थे
सोई नही रात भर करवटे बदलती रही मैं
सारी पुरनि यादो को सयोज रही थी मैं
क्या वो दिन कभी वापस लौट कर आएंगे
क्या हम एकसाथ फिर कभी मुस्कुरा पाएंगे
पता न चला तुम्हे सोचते हुए कब आंख लग गयी
हकीकत मे ना सही सपनो मे तो मुलाकात हो गयी
बोले तुम कुछ नही मैं भी खामोश खड़ी थी
हम चुपचाप रह गए और रात गुजर गयी थी
सपना टूटा और मेरी निंद भी टूट गयी थी
तुम्हारे आँसु नाजाने क्यो मेरी आँख से बह गयी थी

-


22 JAN 2022 AT 22:29

सीने से लगालो ना मुझें
खामोश रहोगे और कब तक
हाल-ए-दिल बतलाओ ना मुझें

-


17 AUG 2021 AT 9:35

Real friendship is seeing each other as person not as position...

-


17 JUN 2021 AT 19:21

उन नेत्रों से अब निद्रा लुप्त होने लगी है
विरह की पीड़ा में निद्रा रूठने लगी है
निद्रा की प्रतीक्षा करते करते अब तो
वो जागृत नेत्रों से भी स्वप्न देखने लगी है

-


14 JUN 2021 AT 21:12

एकांत में अपने कांत को अनुभव करती हूँ
देखे बिना मन ही मन उनसे बात करती हूँ
बोलना चाहते वो पर मैं बोलने नहीं देती
वो शांत रहते और मैं शिकायत करती हूँ
समय की पाबन्दी बताते हैं वो पर मैं जाने नहीं देती
और फिर मैं उनके समय पर अधिकार करती हूँ
रूठ जाती मैं वो मनाने का प्रयत्न करते
पर मैं नहीं मानती और अभिमान करती हूँ
मुझ अभिमानिनी के अभिमान से वो घबराते
और इसी भोलेपन से तो उनके मैं प्रेम करती हूँ
शिकायत और अभिमान के मध्य प्रेम खिल जाता
और इस तरह एकांत में अपने कांत को अनुभव करती हूँ

-


9 JUN 2021 AT 19:10

वो कहते थे विरह में प्रेम रंग फिका पड़ते देखा है
पर हमने तो विरह में प्रेम रंग गहरा होते देखा है
लगता है उन कहने वालो को जलन थी प्रेम से
या फिर उन्होंने प्रेमी को प्रेम रंग में रंगते नही देखा है

-


5 JUN 2021 AT 17:44

प्रेम वीलुप्त बंजारे नगर मे प्रेयसी ढूंढती रही अपने प्रियतम को
मोह रूपी आकर्षण के युग मे ढूंढती रही संपूर्ण समर्पण को

-


17 MAY 2021 AT 18:15

ମୁଁ ସବୁବେଳେ ତୁମ ରୂପ ର କଳ୍ପନା କରୁଥାଏ । ତୁମେ କିପରି ଦେଖାଯାଉଥିବ ? ତୁମେ କ'ଣ ମଣିଷ ପରି ଦେଖା ଯାଅ, ଯେଉଁ ସବୁ ଚିତ୍ର ମୁଁ ଦେଖି ଆସିଛି ! ନା ତୁମ ରୂପ ର କଳ୍ପନା କରିବା ଅସମ୍ଭବ ? ନିଶ୍ଚିତ ତୁମ ନେତ୍ର ଦ୍ବୟ ପ୍ରେମ ରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ଓ ତୁମ ହାସ୍ୟ ଭରା ମୁଖମଣ୍ଡଳ ସର୍ବ ଆକର୍ଷଣୀୟ ହୋଇ ଥିବ,ମସ୍ତକ ରେ ମୟୂର ଚନ୍ଦ୍ରିକା ଓ ଲଲାଟ ରେ ଚନ୍ଦନ ତୁମ ସୁନ୍ଦର ରୂପ କୁ ଆହୁରି ମନମୁଗ୍ଧକର କରି ଦେଉଥିବ । ହେ କୃଷ୍ଣ ! ତୁମେ ନିଶ୍ଚୟ ଏହି ଜଗତ ର ସର୍ବଶ୍ରେଷ୍ଠ ସଂଗୀତଜ୍ଞ ହୋଇଥିବ, ଯେତେବେଳେ ତୁମ କର ଦ୍ବୟ ମୋହନ ବଂଶୀ କୁ ଧରି ତୁମ କୋମଳ ଓଠ କୁ ସ୍ୱର୍ଷ କରୁଥିବ; ଏହା ସେହି ମନମୋହନ ସ୍ୱର ସୃଷ୍ଟି କରୁଥିବ ଯାହା ଦ୍ଵାରା ଜଣେ ନିଜର ଅସ୍ତତ୍ବ ଭୁଲି ଯାଉଥିବ । ତୁମେ ଇତିହାସ ର ସେହି ମହାନ୍ ମହାନାୟକ ଯିଏ ଧର୍ମ ରକ୍ଷା ପାଇଁ ଅବତରିତ ହୋଇ ଅଧର୍ମ ର ବିନାଶ କରିଥିଲ ଏବଂ ସାଧାରଣ ସାରଥୀ ଭାବେ ମହାଭାରତ ଯୁଦ୍ଧ ରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିଥିଲ । ମୁଁ ଜାଣିବା କୁ ଉତ୍ସୁକ ସେହି ବ୍ୟକ୍ତି ମାନେ କେଉଁ ପୁଣ୍ୟ କର୍ମ କରି ଥିଲେ ଯାହା ଫଳରେ ତୁମ ବନ୍ଧୁତା ର ସ୍ଵାଦ ସେମାନଙ୍କୁ ମିଳିଥିଲା ? ମତେ ଯଦି ସୁଯୋଗ ମିଳେ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ତୁମ କରୁଣା ର ପାତ୍ର ହେବାକୁ ଚାହୁଛି । ତୁମ ସାନ୍ନିଧ୍ୟ ଲାଭ କରିବାର ଲାଳସା ମନରେ ରଖି ପ୍ରତି ମୁହୁର୍ତ୍ତ ତୁମ ଉପସ୍ଥିତି ର ଅପେକ୍ଷା କରୁଛି ।

-


Fetching Swetaparna Padhee Quotes